गदर का हैंडपंप सीन: पूरी यूनिट थी खिलाफ!
डायरेक्टर अनिल शर्मा हुए थे अपनी जिद पर अड़े; जानिए क्यों ब्लॉकबस्टर बनी यह सीन।
- सनी देओल की ‘गदर: एक प्रेम कथा’ फिल्म का सबसे आइकॉनिक हैंडपंप उखाड़ने वाला सीन शुरू में पूरी यूनिट और क्रू के विरोध का विषय था।
- फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा इस सीन को शूट करने पर अड़ गए थे, जबकि सभी ने इसे हास्यास्पद (Funny) बताया था।
- अनिल शर्मा की जिद और दूरदर्शिता के कारण यह सीन बाद में फिल्म का ‘टर्निंग पॉइंट’ और ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बनने का आधार बना।
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 07 नवंबर: बॉलीवुड के इतिहास में कुछ ही सीन ऐसे होते हैं जो दशकों तक दर्शकों की यादों में अमिट रहते हैं। सनी देओल अभिनीत फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ (Gadar: Ek Prem Katha) का हैंडपंप उखाड़ने वाला सीन (Handpump Scene) उन्हीं में से एक है। यह वह सीन है जिसने तारा सिंह (सनी देओल) के किरदार को भारतीय सिनेमा में सुपरहीरो का दर्जा दिया और फिल्म को ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बना दिया।
हालांकि, यह जानकर हैरानी होगी कि जिस सीन ने ‘गदर’ को ऐतिहासिक सफलता दिलाई, वह शुरू में फिल्म यूनिट के बीच भारी विवाद का विषय था। हाल ही में फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि जब उन्होंने इस सीन को शूट करने का फैसला किया, तो पूरी यूनिट और यहाँ तक कि कुछ मुख्य कलाकारों ने भी इसका घोर विरोध किया था।
यूनिट का विरोध: “हास्यास्पद लगेगा ये सीन!”
अनिल शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने टीम को समझाया कि एक गुस्से में आया भारतीय अपनी पत्नी को बचाने के लिए हैंडपंप उखाड़ देगा, तो क्रू मेंबर और यूनिट के अन्य सदस्य दंग रह गए। अधिकांश लोगों ने तर्क दिया कि यह सीन अविश्वसनीय और हास्यास्पद (Funny) लगेगा। उनका मानना था कि दर्शक इसे सिनेमाई लिबर्टी के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे और यह सीन फिल्म के गंभीर प्लॉट को कमजोर कर देगा।
कई लोगों ने अनिल शर्मा को सलाह दी कि वे इसके बजाय कोई वास्तविक एक्शन सीक्वेंस शूट करें या फिर तारा सिंह के गुस्से को किसी और तरह से दिखाएँ। लेकिन अनिल शर्मा अपनी दूरदर्शिता पर अड़े रहे। उन्हें विश्वास था कि यह सीन न केवल तारा सिंह के अदम्य साहस को दर्शाएगा, बल्कि भारत-पाकिस्तान विभाजन की भावनात्मक पृष्ठभूमि में इसे देखने वाले दर्शकों के देश प्रेम की भावना को भी छू जाएगा।
अनिल शर्मा की जिद और जीत
अनिल शर्मा की यह जिद ही थी कि उन्होंने सभी के विरोध के बावजूद, इस सीन को उसी तरह से शूट किया जैसा उन्होंने सोचा था। उन्होंने महसूस किया कि फिल्म में हीरो को सिर्फ मारधाड़ नहीं करनी है, बल्कि उसके अंदर की शक्ति और भावनात्मक आक्रोश को व्यक्त करना है। हैंडपंप उखाड़ने का एक्शन, गुस्से और निराशा में किए गए अमानवीय शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बन गया।
जब फिल्म 2001 में रिलीज़ हुई, तो यह सीन वास्तव में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। सिनेमा हॉल में इस सीन के दौरान दर्शकों ने तालियों और सीटियों से हॉल गूंजा दिया। यह सीन इतना लोकप्रिय हुआ कि आज भी जब भी ‘गदर’ की बात होती है, यह सीन सबसे पहले याद आता है। यह घटना दर्शाती है कि कभी-कभी निर्देशकों को अपनी दूरदर्शिता पर अडिग रहना पड़ता है, भले ही पूरी टीम उनके खिलाफ हो। ‘गदर: एक प्रेम कथा’ ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि इस एक सीन ने यह भी साबित किया कि दर्शकों का जुड़ाव भावनात्मक और प्रतीकात्मक एक्शन के साथ कहीं अधिक गहरा होता है।