नाबालिग से रेप: मां और साथी को 180 साल की जेल
POCSO कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बेटी को बीयर पिलाने और अपराध के लिए उकसाने पर मां दोषी करार।
- केरल की विशेष POCSO कोर्ट ने नाबालिग बेटी के यौन शोषण के मामले में मां और उसके पुरुष साथी को दोषी ठहराया।
- अदालत ने दोनों आरोपियों को कुल 180 साल कैद की सज़ा सुनाई है, जो एक कठोर और ऐतिहासिक फैसला है।
- आरोपी मां पर बेटी को बीयर पिलाने, पोर्न वीडियो दिखाने और साथी से रेप के लिए उकसाने का गंभीर आरोप सिद्ध हुआ।
समग्र समाचार सेवा
केरल, 07 नवंबर: केरल में एक विशेष पॉक्सो (POCSO) कोर्ट ने एक 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ जघन्य यौन शोषण के मामले में उसकी अपनी माँ और माँ के पुरुष साथी को दोषी मानते हुए एक कठोर और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने दोनों दोषियों को कुल 180 साल कैद की सज़ा सुनाई है और उन पर 23.4 लाख रुपये (प्रत्येक पर 11.7 लाख रुपये) का भारी जुर्माना भी लगाया है, जो पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।
यह मामला दिसंबर 2019 से शुरू हुआ और अक्टूबर 2021 तक चला, जब तिरुवनंतपुरम की 30 वर्षीय महिला (माँ) फोन के जरिए पलक्कड़ के 33 वर्षीय आरोपी पुरुष के संपर्क में आई। इसके बाद, महिला अपने पति और बच्ची को छोड़कर पुरुष साथी के साथ भाग गई और पलक्कड़ तथा मलप्पुरम में साथ रहने लगी। इस दौरान बच्ची भी उनके साथ ही थी। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में बताया कि इस अवधि में पुरुष साथी ने कई बार बच्ची के साथ यौन हिंसा की।
उकसाने, डराने और मजबूर करने की दोषी माँ
इस पूरे मामले में सबसे डराने वाला पहलू बच्ची की माँ की भूमिका थी। विशेष लोक अभियोजक सोमसुंदरन ए ने कोर्ट में तर्क दिया कि माँ ने न केवल अपराध को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि वह खुद इस यौन उत्पीड़न के लिए उकसाने की दोषी है। माँ पर ये भी आरोप सिद्ध हुए कि वह अपनी नाबालिग बच्ची को बीयर पिलाती थी, पोर्न वीडियो दिखाती थी और उसे दोनों को शारीरिक संबंध बनाते हुए देखने के लिए मजबूर करती थी।
माँ बच्ची को मानसिक रूप से भी प्रताड़ित करती थी। उसने बच्ची को धमकाया था कि उसके दिमाग में ‘सीसीटीवी’ लगा हुआ है, और यदि उसने किसी को कुछ बताया तो उन्हें तुरंत पता चल जाएगा। इस तरह की मानसिक क्रूरता ने बच्ची को लंबे समय तक चुप रहने पर मजबूर किया। कोर्ट ने पाया कि दोनों आरोपियों ने POCSO एक्ट, IPC, और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की कई गंभीर धाराओं के तहत अपराध किए हैं, जिसके लिए यह कठोर सज़ा आवश्यक थी।
ऐसे सामने आया जघन्य मामला
यह जघन्य अपराध तब सामने आया जब आरोपी महिला मलप्पुरम थाने पहुँची और उसने अपने माता-पिता पर उसका आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ न देने का आरोप लगाया। पुलिस ने उसके माता-पिता से संपर्क किया और उन्हें दस्तावेज़ देने को कहा। जब वे महिला के घर पहुँचे और अपनी पोती से मिलना चाहा, तो आरोपी महिला ने उन्हें बच्ची से मिलने से मना कर दिया।
इसके बाद, पड़ोसियों ने चाइल्ड लाइन से संपर्क किया और शिकायत की कि घर में बच्ची की हालत खराब है और उसे ठीक से भोजन भी नहीं दिया जा रहा है। चाइल्ड लाइन की मदद से बच्ची को स्नेहिता सेंटर ले जाया गया। सेंटर में काउंसलिंग के दौरान, बच्ची ने उसके साथ हुई दर्दनाक और भयानक वारदात को बताया, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और कड़ी कार्रवाई शुरू की गई। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जुर्माने की रकम, जो 23.4 लाख रुपये है, उसे पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिया जाए। जुर्माना न भरने की स्थिति में दोनों दोषियों को 20 महीने की अतिरिक्त सज़ा काटनी होगी। यह फैसला समाज में बच्चों के खिलाफ अपराध को रोकने की दिशा में एक सशक्त संदेश है।