फर्जी पासपोर्ट घोटाला: ED की जाँच, व्यवसायी के 900 बार बैंकॉक दौरे से हड़कंप
पश्चिम बंगाल में मनी लॉन्ड्रिंग और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पैटर्न पर ED का शिकंजा, जाँच में बड़े रैकेट का खुलासा
- जाँच का विषय: पश्चिम बंगाल में चल रहे फर्जी पासपोर्ट और मानव तस्करी से जुड़े मामले में ED की जाँच।
- असामान्य यात्रा पैटर्न: एक व्यवसायी द्वारा पिछले कुछ वर्षों में 900 से अधिक बार बैंकॉक की संदिग्ध यात्रा।
- संभावना: ED को संदेह है कि यह यात्रा पैटर्न मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला लेनदेन और अंतर्राष्ट्रीय फर्जी पासपोर्ट सिंडिकेट से जुड़ा हो सकता है।
समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 06 नवंबर: पश्चिम बंगाल में एक बड़े फर्जी पासपोर्ट घोटाला मामले की जाँच ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को चौंका दिया है। इस मामले की जाँच करते हुए ED ने खुलासा किया है कि एक प्रमुख व्यवसायी ने पिछले कुछ वर्षों में 900 से अधिक बार बैंकॉक की यात्रा की है। इस अत्यधिक और असामान्य यात्रा पैटर्न ने ED को मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट से जुड़े होने का संदेह पैदा किया है। इस व्यवसायी की संदिग्ध गतिविधियों पर ED का शिकंजा कसता जा रहा है, और जाँच में इस क्षेत्र से संचालित होने वाले एक बड़े फर्जी पासपोर्ट रैकेट का खुलासा होने की संभावना है।
900 बार बैंकॉक क्यों? ED का संदेह
ED द्वारा की जा रही जाँच में जिस व्यवसायी का नाम सामने आया है, उसकी पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन उसके यात्रा रिकॉर्ड ने सुरक्षा एजेंसियों को संदेह के घेरे में ला दिया है। एक सामान्य व्यवसायी के लिए इतने कम समय में 900 से अधिक बार बैंकॉक की यात्रा करना अत्यधिक असामान्य है। ED का मानना है कि यह व्यक्ति केवल व्यवसाय के लिए यात्रा नहीं कर रहा था, बल्कि इसका उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए एक ‘कूरियर’ या ‘संपर्क सूत्र’ के रूप में किया जा रहा था।
जाँच एजेंसी का प्राथमिक संदेह है कि ये लगातार यात्राएँ निम्नलिखित गतिविधियों से जुड़ी हो सकती हैं:
हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग: यह व्यक्ति अवैध रूप से अर्जित धन को भारत से बाहर स्थानांतरित करने या देश में वापस लाने के लिए एक इंटरनेशनल चैनल के रूप में काम कर रहा था।
फर्जी पासपोर्ट सिंडिकेट: ये यात्राएँ अंतर्राष्ट्रीय फर्जी पासपोर्ट रैकेट, जिसमें मानव तस्करी भी शामिल हो सकती है, के लिए लॉजिस्टिक्स सपोर्ट या नेटवर्किंग स्थापित करने के लिए की जा रही थीं।
फर्जी पासपोर्ट रैकेट: जड़ें और तार
यह जाँच तब शुरू हुई जब पश्चिम बंगाल पुलिस ने एक फर्जी पासपोर्ट रैकेट का खुलासा किया था, जिसके बाद ED ने इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से प्रवेश किया। यह रैकेट कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पासपोर्ट जारी करवाता था, जिसका उपयोग बाद में अवैध अप्रवासियों और अपराधियों को देश से बाहर भेजने के लिए किया जाता था।
ED को संदेह है कि 900 बार बैंकॉक जाने वाले व्यवसायी के तार इस रैकेट के उच्च-स्तरीय ऑपरेटरों से जुड़े हो सकते हैं। ED अब उसके बैंक खातों, वित्तीय लेनदेन और व्यवसायी साझेदारों की गहनता से जाँच कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि इन यात्राओं को किसने फंड किया और भारत में इसका अंतिम लाभार्थी कौन है।
राजनीतिक संपर्क और ED का अगला कदम
सूत्रों के अनुसार, ऐसे रैकेट अक्सर उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों या राजनीतिक हस्तियों के समर्थन के बिना काम नहीं कर सकते। ED की जाँच में अब उन पासपोर्ट अधिकारियों और राजनीतिक संपर्कों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिन्होंने इस व्यवसायी और उसके सहयोगियों को इतनी बार विदेश यात्रा करने और फर्जी दस्तावेज़ बनाने में मदद की।
ED जल्द ही इस व्यवसायी को समर्थन और धन के स्रोत के बारे में पूछताछ करने के लिए समन्स जारी कर सकती है। यह मामला पश्चिम बंगाल में चल रही कई हाई-प्रोफाइल जाँचों में एक और गंभीर पहलू जोड़ता है, जिसमें अवैध गतिविधियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मार्गों के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है।