SIR पर टीएमसी का विरोध
कहीं टीएमसी को डर तो नहीं कि साफ मतदाता सूची से उनकी राजनीतिक ज़मीन खिसक सकती है?
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चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में शुरू की SIR प्रक्रिया, पारदर्शी चुनाव की दिशा में अहम कदम
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ममता बनर्जी ने कोलकाता में हजारों कार्यकर्ताओं संग पैदल मार्च कर केंद्र पर लगाए आरोप
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SIR का विरोध कर ममता एक बार फिर “केंद्र बनाम बंगाल” की राजनीति को हवा दे रही हैं
समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 4 नवंबर: चुनाव आयोग द्वारा देश के 12 राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू करने के बाद पश्चिम बंगाल में इस पर राजनीतिक घमासान मच गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी टीएमसी के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर उतर आईं और इस प्रक्रिया के खिलाफ पैदल मार्च निकाला। ममता बनर्जी ने रेड रोड पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा से ठाकुरबाड़ी तक मार्च किया।
मार्च के दौरान टीएमसी कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर “धांधली करने की साजिश” के नारे लगाए।
ममता बनर्जी ने कहा, “आपने आधार कार्ड के लिए कितना भुगतान किया? आपने प्रत्येक व्यक्ति से 1,000 रुपये लिए। अगर जनता ने आधार कार्ड के लिए पैसे दिए, तो अब यह क्यों कहा जा रहा है कि मतदाता सूची के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं?”
उन्होंने केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि दिल्ली की सरकार को देश से हटा दिया जाए।”
ममता के अनुसार, केंद्र सरकार लोगों को अलग-अलग कार्डों के नाम पर भ्रमित कर रही है, आप कितने कार्ड बनाएँगे? राशन कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड, किसान कार्ड, श्रमिक कार्ड जनता को सिर्फ परेशान किया जा रहा है।
हालांकि, SIR एक नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य सिर्फ मतदाता सूची को सटीक बनाना है।
ममता बनर्जी का यह विरोध अधिकतर राजनीतिक प्रतीकवाद है। बंगाल में टीएमसी लंबे समय से “केंद्र बनाम राज्य” की राजनीति पर टिकी रही है, और इस बार भी ममता उसी रणनीति को दोहरा रही हैं।
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी इस मौके पर कहा, “2026 का चुनाव ममता बनर्जी को चौथी बार सीएम बनाने का नहीं, बल्कि भाजपा को शून्य सीटों पर लाने की लड़ाई है।”
उनका यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पार्टी का यह विरोध नीतिगत कम, बल्कि राजनीतिक भावनाओं को जगाने की कवायद ज़्यादा है।
SIR जैसी प्रक्रिया का विरोध करना दरअसल साफ-सुथरे चुनावों के खिलाफ खड़ा होना है।
लेकिन बंगाल में टीएमसी इसे अपनी राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई में हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है।