बिहार ओपिनियन पोल में एनडीए को बहुमत का अनुमान, तेजस्वी सीएम की पहली पसंद!
पोलस्ट्रैट सर्वे के मुताबिक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA को बहुमत, मगर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में तेजस्वी यादव सबसे आगे।
- सीटों का अनुमान: NDA गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के साथ 133 से 143 सीटें मिलने का अनुमान है।
- सबसे लोकप्रिय सीएम चेहरा: मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव 33-36% समर्थन के साथ सबसे पसंदीदा चेहरा बने हुए हैं।
- वोट प्रतिशत: NDA को 44.80% तक वोट मिलने की संभावना है, जबकि महागठबंधन का वोट शेयर 38.60% के आसपास रहने का अनुमान है।
समग्र समाचार सेवा
पटना, 04 नवंबर: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले सामने आए ओपिनियन पोल के आँकड़ों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विभिन्न सर्वे एजेंसियों, जैसे ‘पोलस्ट्रैट’ और ‘जेवीसी पोल’, के अनुमान बताते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) राज्य में सत्ता बरकरार रख सकता है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद की लोकप्रियता की दौड़ में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे दिखाई दे रहे हैं, जो महागठबंधन के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
1. पोलस्ट्रैट का बड़ा अनुमान: NDA को स्पष्ट बहुमत
‘पोलस्ट्रैट’ द्वारा किए गए नवीनतम ओपिनियन पोल में, जिसमें 8 लाख से अधिक लोगों की राय शामिल की गई, NDA को 133 से 143 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। बिहार विधानसभा में बहुमत का जादुई आँकड़ा 122 है, जिसे NDA आसानी से पार करता हुआ दिख रहा है।
NDA का हिस्सा: इस सर्वे के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है, जिसे अकेले 70 से 72 सीटें मिल सकती हैं। यह आँकड़ा न सिर्फ़ भाजपा की बढ़ती ताकत को दिखाता है, बल्कि बिहार की राजनीति में उसके बढ़ते दबदबे की ओर भी इशारा करता है।
महागठबंधन का प्रदर्शन: दूसरी ओर, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन (MGB) को 93 से 102 सीटें मिलने का अनुमान है। महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी RJD को 69 से 72 सीटें मिल सकती हैं, जो इसे विधानसभा में एक मज़बूत विपक्ष के रूप में स्थापित कर सकती है।
वोट शेयर: पोलस्ट्रैट के अनुसार, NDA का वोट प्रतिशत 44.80% और महागठबंधन का वोट प्रतिशत 38.60% रहने का अनुमान है। यह करीब 6% का अंतर NDA को सीटों के मामले में बड़ी बढ़त दिला सकता है।
2. सीएम पद की दौड़: तेजस्वी यादव का जलवा बरकरार
सीटों के अनुमान में भले ही NDA आगे हो, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए लोकप्रियता के मामले में तेजस्वी यादव लगातार अपनी बढ़त बनाए हुए हैं। कई ओपिनियन पोल्स, जिनमें ‘पोलस्ट्रैट’ और ‘जेवीसी पोल’ शामिल हैं, में तेजस्वी यादव को 33% से 36% तक लोगों ने अपनी पहली पसंद बताया है।
नीतीश कुमार की स्थिति: वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकप्रियता के इस चार्ट में 27% से 29% समर्थन के साथ दूसरे स्थान पर हैं। यह उनकी लोकप्रियता में कुछ गिरावट को दर्शाता है, लेकिन ‘सुशासन बाबू’ के रूप में उनकी छवि और अनुभव NDA के लिए एक मज़बूत आधार बने हुए हैं।
अन्य दावेदार: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान भी सीएम पद की दौड़ में क्रमशः 10% से 13% तक समर्थन हासिल करते दिख रहे हैं।
3. युवाओं का रुझान: बेरोज़गारी बनी सबसे बड़ी चिंता
ओपिनियन पोल के विश्लेषण से पता चला है कि 18 से 25 साल के युवा मतदाताओं का रुझान महागठबंधन की ओर अधिक है। इसका मुख्य कारण बेरोज़गारी है, जिसे लगभग 37.99% युवाओं ने अपने लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा माना है। तेजस्वी यादव ने अपने चुनाव प्रचार में सरकारी नौकरियों के वादे पर ज़ोर दिया है, जिसका सीधा असर युवा मतदाताओं पर होता दिख रहा है।
इसके विपरीत, 41 से 59 आयु वर्ग के लोगों की पहली पसंद NDA है। विश्लेषकों का मानना है कि NDA सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएँ (जैसे आवास, बिजली और सड़कें) और मज़बूत संगठनात्मक मशीनरी इसे वरिष्ठ मतदाताओं और महिलाओं के बीच मज़बूती प्रदान कर रही है।
4. अन्य दलों की स्थिति और क्षेत्रीय समीकरण
इन दोनों प्रमुख गठबंधनों के अलावा, कुछ अन्य दलों को भी कुछ सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है:
जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर): ओपिनियन पोल में जन सुराज पार्टी को 1 से 3 सीटें मिलने की संभावना है, जो दिखाता है कि प्रशांत किशोर का अभियान कुछ क्षेत्रों में प्रभाव डाल रहा है।
AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 2 से 3 सीटें मिल सकती हैं, विशेषकर सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में।
कुल मिलाकर, ये ओपिनियन पोल बिहार में एक काँटे की टक्कर की ओर इशारा कर रहे हैं, जिसमें NDA स्पष्ट रूप से आगे है, लेकिन तेजस्वी यादव की व्यक्तिगत लोकप्रियता ने महागठबंधन को एक मज़बूत चुनौती पेश करने का मौका दिया है। हालांकि, यह याद रखना ज़रूरी है कि ओपिनियन पोल महज़ अनुमान होते हैं, और चुनाव के असली नतीजे 14 नवंबर को ही सामने आएंगे, जब वोटों की गिनती होगी।