NCERT का बड़ा फैसला: 9वीं से 12वीं का नया सिलेबस, अनिवार्य ब्रिज कोर्स लागू!
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत स्कूली शिक्षा में ऐतिहासिक बदलाव, नए सत्र से लागू होगा नया पाठ्यक्रम
- नया पाठ्यक्रम: कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए NCF-SE 2023 के आधार पर नया सिलेबस लागू होगा।
- अनिवार्य ब्रिज कोर्स: पुराने सिलेबस से पढ़कर आने वाले छात्रों के लिए 6 सप्ताह का ब्रिज कोर्स अनिवार्य होगा।
- पाठ्य सामग्री में कमी: नई किताबों में कंटेंट को कम किया गया है और गतिविधियों (Activities) तथा ग्राफिक्स के माध्यम से सिखाने पर जोर दिया गया है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 04 नवंबर: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने देश की स्कूली शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप, कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम (New Syllabus) और नई पाठ्यपुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किया जाएगा। इस बड़े बदलाव के तहत, पुराने पाठ्यक्रम से नए में सुचारु संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए कुछ छात्रों के लिए अनिवार्य ‘ब्रिज कोर्स’ भी शुरू किया जाएगा।
कब तक उपलब्ध होंगी नई NCERT किताबें?
NCERT ने पहले ही कक्षा 1 से 8 तक की नई किताबें जारी कर दी हैं। अब उच्च कक्षाओं की किताबों पर काम तेजी से चल रहा है:
कक्षा 9वीं और 11वीं: नई किताबें अगले वर्ष फरवरी 2026 तक उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
कक्षा 10वीं और 12वीं: नई किताबें जुलाई 2026 तक उपलब्ध होने की संभावना है।
NCERT के निदेशक प्रोफेसर दिनेश सकलानी ने जानकारी दी है कि नई किताबें पूरी तरह से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क (NCF-SE) 2023 के आधार पर तैयार की गई हैं। इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों को खोजी-आधारित (Inquiry-Driven) और प्रयोगात्मक शिक्षा (Experiential Learning) की ओर ले जाना है।
क्यों जरूरी है ‘ब्रिज कोर्स’ और यह किसके लिए?
ब्रिज कोर्स एक अल्पकालिक कार्यक्रम (Short-Term Programme) है, जिसे छात्रों को नए शैक्षणिक दृष्टिकोण और बदले हुए कंटेंट के लिए मानसिक रूप से तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ब्रिज कोर्स का उद्देश्य:
सीखने के अंतराल को भरना (Bridging the Learning Gap): पुराने और नए पाठ्यक्रम के बीच के अंतर को कम करना।
आत्मविश्वास बढ़ाना: छात्रों को नई किताबों और पैटर्न को समझने में मदद करना, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़े।
शिक्षण विधियों से परिचय: नई शिक्षा नीति के तहत गतिविधि-आधारित और समग्र शिक्षा (Holistic Education) की ओर संक्रमण को आसान बनाना।
किन छात्रों को करना होगा ब्रिज कोर्स?
कक्षा 9वीं: जो छात्र पहले ही नए पाठ्यक्रम से कक्षा 8वीं पास करके आ रहे हैं, उन्हें ब्रिज कोर्स की आवश्यकता नहीं होगी।
कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं: जिन छात्रों ने पिछली कक्षाओं में पुराने सिलेबस से पढ़ाई की है (जैसे 11वीं में आने वाले छात्र जिन्होंने 10वीं पुराने सिलेबस से पढ़ी है), उन्हें 6 सप्ताह का अनिवार्य ब्रिज कोर्स करना होगा।
यह कोर्स हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे सभी प्रमुख विषयों के लिए अनिवार्य होगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र नए पाठ्यक्रम की आवश्यक बुनियादी समझ के साथ अपनी आगे की पढ़ाई शुरू करें।
NCF-SE 2023: पाठ्यक्रम में क्या बदला?
नया पाठ्यक्रम कठिन विषयों को सरल बनाने और व्यावहारिक ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बनाया गया है।
हल्का कंटेंट: किताबों से अनावश्यक कंटेंट को हटा दिया गया है, ताकि छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम हो।
गतिविधियों पर जोर: अब रटने की बजाय, एक्टिविटीज (जैसे आर्ट-इंटीग्रेशन, खेल-आधारित शिक्षा) और ग्राफिक्स के माध्यम से अवधारणाओं को सिखाया जाएगा।
नए विषयों का समावेश:
कक्षा 6 से 8 तक के विज्ञान पाठ्यक्रम में आयुर्वेद के सिद्धांतों (दिनचर्या, ऋतुचर्या) को जोड़ा गया है।
कक्षा 3 के पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की शुरुआती समझ शामिल की गई है।
इन बदलावों का मूल लक्ष्य बच्चों को ‘भारतीय मूल्यों से जुड़ा’ और ‘भविष्य के लिए तैयार’ बनाना है, जैसा कि NEP 2020 का दृष्टिकोण है। एनसीईआरटी इन बदलावों के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर भी जोर दे रहा है।