- कनाडा की सरकार वीज़ा धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक अस्थायी वीज़ा रद्द करने की शक्ति हासिल करने की योजना बना रही है।
- आंतरिक दस्तावेज़ों में भारत और बांग्लादेश को “देश-विशिष्ट चुनौती” के रूप में नामित किया गया है, जिसके कारण यह कदम उठाया जा रहा है।
- अगस्त 2025 में 74% भारतीय छात्रों के अध्ययन परमिट आवेदन खारिज किए गए, जो पिछले वर्ष के मुकाबले दोगुने से अधिक है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 04 नवंबर: कनाडा की सरकार एक ऐसे विवादास्पद विधेयक (Bill C-12) पर काम कर रही है, जिसके तहत इमिग्रेशन अधिकारियों को बड़े पैमाने पर अस्थायी वीज़ा रद्द करने का अधिकार मिल सकता है। आंतरिक सरकारी दस्तावेज़ों से पता चला है कि इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य उन क्षेत्रों से होने वाले वीज़ा धोखाधड़ी (Visa Fraud) पर नकेल कसना है, जहाँ धोखाधड़ी के मामले अधिक केंद्रित हैं। इन दस्तावेज़ों में विशेष रूप से भारत और बांग्लादेश को ‘देश-विशिष्ट चुनौतियों’ (Country-Specific Challenges) के रूप में नामित किया गया है।
हालांकि, कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री लेना दियाब ने सार्वजनिक रूप से इस शक्ति का उपयोग महामारी या युद्ध जैसी असाधारण स्थितियों के लिए करने की बात कही है, लेकिन आंतरिक रिपोर्टें बताती हैं कि इसका इस्तेमाल देश-विशिष्ट धोखाधड़ी से निपटने के लिए भी किया जा सकता है। इस योजना ने कनाडा में रह रहे और जाने की इच्छा रखने वाले लाखों भारतीयों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
क्यों आया यह ‘सामूहिक रद्द’ का प्रस्ताव?
कनाडा द्वारा इस कठोर कदम के पीछे मुख्य कारण वीज़ा आवेदनों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की पहचान करना है, जिसमें भारतीय छात्रों से जुड़े मामले प्रमुख हैं।
छात्र वीज़ा अस्वीकृति में रिकॉर्ड वृद्धि: अगस्त 2025 में लगभग 74% भारतीय छात्रों के अध्ययन परमिट आवेदन अस्वीकार कर दिए गए। यह आंकड़ा अगस्त 2023 के 32% से दोगुने से भी अधिक है। तुलनात्मक रूप से, चीन के छात्रों की अस्वीकृति दर केवल 24% थी।
फर्जी दस्तावेज़ों का खुलासा: कनाडा के अधिकारियों ने 2023 में 1,550 से अधिक फर्जी कॉलेज स्वीकृति पत्र (Fake Letters of Acceptance) का पता लगाया था, जिनमें से अधिकांश भारत से संबंधित थे। 2024 तक, सत्यापन प्रणाली (Verification System) ने दुनिया भर के आवेदकों में 14,000 से अधिक संभावित फर्जी दस्तावेज़ों को चिह्नित किया।
आवेदनों की संख्या में भारी गिरावट: सख्ती के कारण अगस्त 2023 में भारतीय आवेदकों की संख्या लगभग 21,000 से घटकर अगस्त 2025 में सिर्फ 4,500 के आसपास रह गई है।
इन आंकड़ों ने कनाडा के इमिग्रेशन सिस्टम की अखंडता पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके जवाब में कनाडा सरकार ने यह सत्यापन प्रणाली को मजबूत करने और वित्तीय आवश्यकताओं को सख्त करने जैसे कदम उठाए हैं।
किन पर पड़ेगा सबसे ज़्यादा असर?
यह प्रस्तावित सामूहिक वीज़ा रद्द करने का अधिकार उन भारतीय छात्रों, श्रमिकों और पर्यटकों पर सीधा असर डाल सकता है जो अस्थायी निवास (Temporary Residence) पर कनाडा में हैं या वहां जाने की योजना बना रहे हैं। यदि यह कानून पारित होता है, तो अथॉरिटीज को बिना किसी व्यक्तिगत सुनवाई के, संदेह के आधार पर वीज़ा के एक पूरे वर्ग को रद्द करने की शक्ति मिल जाएगी।
इस बिल का कनाडा में ही विरोध हो रहा है। 300 से अधिक नागरिक समाज समूह (Civil Society Groups), जिनमें माइग्रेंट राइट्स नेटवर्क भी शामिल है, ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर वीज़ा रद्द करने की शक्ति एक “सामूहिक निर्वासन मशीन” (Mass Deportation Machine) को सक्षम कर सकती है।
तनावपूर्ण राजनयिक संबंध और वीज़ा संकट
यह वीज़ा संकट ऐसे समय में आया है जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। 2023 में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की कथित संलिप्तता को लेकर कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए थे। भारत ने इन आरोपों को हास्यास्पद बताते हुए खारिज कर दिया था।
दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच, कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा और वीज़ा प्रक्रिया में सख्ती से छात्रों और प्रवासियों के बीच अनिश्चितता का माहौल है। विश्वविद्यालयों ने पहले ही भारतीय छात्रों के नामांकन में बड़ी गिरावट दर्ज करना शुरू कर दिया है। भारतीय दूतावास ने इस बढ़ते अस्वीकृति दर पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन साथ ही स्वीकार किया है कि अध्ययन परमिट जारी करना कनाडा का विशेषाधिकार है।