प्रदूषण से राहत: दिल्ली में अगले 3 दिनों में हो सकती है कृत्रिम बारिश

क्लाउड सीडिंग मिशन के लिए सेसना विमान ने भरी उड़ान; प्रदूषण कम करने का गोपनीय ऑपरेशन

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  • दीपावली के बाद भयंकर वायु प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में अब जल्द ही कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) देखने को मिल सकती है, जिससे प्रदूषण के स्तर में कमी आने की उम्मीद है।
  • गुरुवार को क्लाउड सीडिंग मिशन को अंजाम देने के लिए सेसना विमान (Cessna aircraft) ने कानपुर से मेरठ के लिए उड़ान भर दी है।
  • अधिकारियों ने बताया है कि अगर मौसम की स्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो अगले तीन दिनों में कभी भी कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है, जिससे दिल्ली-एनसीआर के जहरीले स्मॉग को साफ करने में मदद मिलेगी।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/कानपुर, 23 अक्टूबर: दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी तेज़ हो गई है। क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सेसना विमान गुरुवार को कानपुर से उड़ान भरकर मेरठ के लिए रवाना हो चुका है।

यह मिशन दिल्ली सरकार की ओर से शुरू किया गया एक बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट है, जिसे पहले मानसूनी व्यवधान और बाद में उपयुक्त बादलों की कमी के कारण कई बार टालना पड़ा था। अधिकारियों ने इस ऑपरेशन को अत्यंत गोपनीय बताया है और कहा है कि इसका विस्तृत विवरण पूरा होने के बाद ही साझा किया जाएगा। यह कदम भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से सकारात्मक संकेतों के बाद उठाया गया है, क्योंकि इससे पहले आईएमडी ने 25 अक्टूबर तक उपयुक्त बादलों की कमी की बात कही थी।

कैसे होगी ‘क्लाउड सीडिंग’? क्या है पायरोटेक्निक प्रक्रिया?

कृत्रिम बारिश कराने की तकनीक को ‘क्लाउड सीडिंग’ कहा जाता है, जिसमें बादलों पर रासायनिक क्रिया करके वर्षा कराई जाती है।

क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया:

रसायन और उपकरण: सेसना विमान के दोनों पंखों (Wings) के नीचे आठ से दस जेबें (Pockets) लगाई गई हैं। इन जेबों में रसायन (सीडिंग सामग्री) भरे हुए हैं।

वर्षा शुरू करना: वर्षा शुरू करने के लिए इन रसायनों को कॉकपिट से नियंत्रित करके बादलों के नीचे छोड़ा और विस्फोटित किया जाएगा।

पायरोटेक्निक प्रक्रिया: अधिकारी इसे पायरोटेक्निक प्रक्रिया बताते हैं, जिसके तहत फ्लेयर्स (रसायन वाली बत्तियां) जारी होंगी। ये रसायन बादलों के साथ क्रिया करके बारिश शुरू कर देंगे।

अधिकारियों के अनुसार, इस क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन का अनुमानित प्रभाव क्षेत्र लगभग 100 किलोमीटर होगा। यह कृत्रिम वर्षा दिल्ली-एनसीआर में फैले जहरीले कोहरे (स्मॉग) को साफ करने में मदद करेगी, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।

प्रदूषण पर नियंत्रण की अंतिम आशा

दिल्ली-एनसीआर में हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में पराली जलाने और स्थानीय उत्सर्जन के कारण वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। कृत्रिम बारिश को अक्सर प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक अंतिम उपाय के रूप में देखा जाता है, खासकर जब प्राकृतिक वर्षा की कमी हो।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने भी 22 अक्टूबर को कहा था कि अनुमति से लेकर उड़ान की व्यवस्था तक सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और जैसे ही उपयुक्त बादल मिलेंगे, परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा। अब जबकि सेसना विमान रवाना हो चुका है, उम्मीद है कि अगले 72 घंटों में यह प्रयोग सफल होगा और दिल्ली के लोगों को सांस लेने योग्य हवा मिलेगी। यह परियोजना विभिन्न कारणों से जुलाई में निर्धारित होने के बाद भी टलती रही है, लेकिन अब प्रदूषण के चरम स्तर को देखते हुए सरकार ने इसे जल्द से जल्द कराने का निर्णय लिया है।

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