इनसाइड स्टोरी: होटल मौर्या में कैसे हुई तेजस्वी-सहनी के नाम की घोषणा?

सीएम फेस ऐलान से ठीक पहले मुकेश सहनी ने अड़ाया पेंच, दिल्ली से मिली हरी झंडी

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  • महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार (सीएम फेस) और उपमुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार (डिप्टी सीएम फेस) के नाम की घोषणा से पहले पटना के होटल मौर्या में नाटकीय घटनाक्रम हुआ।
  • वीआईपी (VIP) पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले उपमुख्यमंत्री पद की मांग रखी, जिसके कारण सुबह 11:30 बजे होने वाली घोषणा में घंटेभर की देरी हो गई और दिल्ली तक फोन घुमाने पड़े।
  • सहनी की मांग पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने हस्तक्षेप किया और मल्लाह समुदाय के वोटों के नुकसान की आशंका के मद्देनजर शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करने की हरी झंडी मिली।

समग्र समाचार सेवा
पटना, 23 अक्टूबर: गुरुवार को पटना के होटल मौर्या में महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। यह प्रेस मीट विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित करने के लिए बुलाई गई थी। समय निर्धारित था सुबह 11:30 बजे। लेकिन जैसे-जैसे समय नज़दीक आया, प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थल से महागठबंधन के बड़े नेता धीरे-धीरे गायब होते चले गए। नेता होटल के एक सुइट में ठहरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के कमरे में इकट्ठा हो गए, जहां तेजस्वी यादव भी मौजूद थे।

इसी बीच, अंदरखाने से खबर आई कि विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक मुकेश सहनी (जो उसी होटल के एक अन्य सुइट में ठहरे थे) ने बैठक में शामिल होने और प्रेस मीट में आने से इनकार कर दिया है।

सहनी का अल्टीमेटम: सम्मानजनक स्थान की मांग

मुकेश सहनी का संदेश स्पष्ट था। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर महागठबंधन ‘सामाजिक न्याय’ की बात करता है, तो उसे सिर्फ सीटों में नहीं, बल्कि पदों में भी हिस्सेदारी देनी होगी। सहनी ने कथित तौर पर कहा, “अगर यादव गठबंधन का चेहरा होंगे, तो मैं उनका डिप्टी बनूँगा।”

उनकी दलील थी कि उन्होंने 25 से कम सीटें (उनकी पार्टी VIP को 15 सीटें मिलीं) इसलिए स्वीकार की थीं, क्योंकि उन्हें उप-मुख्यमंत्री पद मिलने की उम्मीद थी। सहनी ने कहा, “अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं अपने समर्थकों का सामना कैसे कर पाऊँगा? मैं अपने समर्थकों के पास जाकर वोट कैसे माँग पाऊँगा?” सहनी, जिनकी मल्लाह, सहनी और निषाद समुदायों में मजबूत पकड़ है, हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ने के अपने रिकॉर्ड के आधार पर गठबंधन में ‘सम्मानजनक स्थान’ की मांग कर रहे थे।

गहलोत का हस्तक्षेप और दिल्ली से फैसला

सहनी की इस अचानक और निर्णायक मांग ने महागठबंधन के भीतर नाजुक माहौल पैदा कर दिया। गठबंधन को यह डर सता रहा था कि सहनी की नाराज़गी का मतलब उनके मजबूत मल्लाह समुदाय के वोटों का नुकसान हो सकता है, जिससे चुनावी समीकरण बिगड़ सकते थे।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे अशोक गहलोत ने व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया। सहनी को केवल आश्वासन देना नाकाफी था। इसके बाद, गहलोत ने दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से फोन पर बात की। शीर्ष नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद ही यह निर्णय लिया गया कि मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाएगा।

यहां तक कि प्रेस मीट के इंतजार में नीचे बैठे वामपंथी नेता दीपांकर भट्टाचार्य को भी ऊपर बुलाकर सहनी की मांग और निर्णय के बारे में बताया गया। भट्टाचार्य ने भी इस फैसले पर सहमति व्यक्त की। इस नाटकीय घटनाक्रम ने मुकेश सहनी को राजनीति में एक बड़ा मुकाम दिला दिया, जहां वह बॉलीवुड के सेट डिजाइनर से बिहार के संभावित उप मुख्यमंत्री के चेहरे बन गए।

इस घटनाक्रम से साफ होता है कि महागठबंधन ने जातिगत समीकरणों को साधने और एकता दिखाने के लिए अंतिम समय में सहनी की शर्तों को स्वीकार किया।

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