79000 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी
DAC ने तीनों सेनाओं के लिए 'मेक इन इंडिया' के तहत नाग मिसाइल, टॉरपीडो और उन्नत तोपों को हरी झंडी दी
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 23 अक्टूबर, 2025 को 79,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी।
- यह मंजूरी भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से दी गई है और इसका मुख्य फोकस ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा प्रणालियों की खरीद पर है।
- प्रमुख खरीद में सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (NAMIS) Mk-II और जासूसी प्रणाली (GBMES), नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (LPD), और वायुसेना के लिए CLRTS/DS ड्रोन सिस्टम शामिल हैं।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर: डीएसी (DAC) द्वारा स्वीकृत 79,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावों में भारतीय सेना के लिए तीन महत्वपूर्ण प्रणालियां शामिल हैं, जो सीमा पर उसकी ताकत को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाएंगी।
नाग मिसाइल सिस्टम (ट्रैक्ड) Mk-II (NAMIS):
यह नाग मिसाइल प्रणाली का एक उन्नत संस्करण है, जो ट्रैक्ड वाहन (चेन वाले) पर स्थापित होता है।
फायदा: यह दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और बंकरों को सटीक निशाना लगाकर नष्ट करने की सेना की क्षमता को मजबूत करेगा। यह गाइडेड मिसाइल होने के कारण युद्ध के मैदान में सेना को निर्णायक बढ़त देगी, खासकर लद्दाख जैसे क्षेत्रों में।
ग्राउंड बेस्ड मोबाइल ईएलआईएनटी सिस्टम (GBMES):
यह एक जमीन-आधारित मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम है।
फायदा: यह प्रणाली 24 घंटे दुश्मन के रडार और सिग्नल उत्सर्जकों की निगरानी कर सकती है। यह सेना की जासूसी और रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी, जिससे दुश्मन की गतिविधियों का पता पहले ही चल जाएगा।
हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMVs) विद मटेरियल हैंडलिंग क्रेन:
ये तेज गति वाले वाहन हैं, जिनमें सामान उठाने वाली क्रेन लगी होगी।
फायदा: यह पहाड़ी, रेगिस्तानी और दुर्गम इलाकों में सेना को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (सामान और रसद पहुंचाना) को आसान बनाएगा।
नौसेना के लिए समुद्री शक्ति: LPD और स्वदेशी टॉरपीडो
भारतीय नौसेना के लिए भी पाँच महत्वपूर्ण प्रणालियों को मंजूरी दी गई है, जिससे समुद्र में उसकी मारक और राहत क्षमता बढ़ेगी।
लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (LPD):
ये बड़े जहाज हैं जो सैनिकों और सैन्य वाहनों को समुद्र से तट पर उतारने में सक्षम हैं।
महत्व: ये एम्फीबियस (समुद्र-तट हमला) ऑपरेशन, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) कार्यों में नौसेना, सेना और वायुसेना के बीच समन्वय को मजबूत करेंगे।
एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोज (ALWT):
ये डीआरडीओ (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित हल्के वजन के उन्नत टॉरपीडो हैं।
महत्व: ये नौसेना को दुश्मन की पनडुब्बियों (पारंपरिक और परमाणु दोनों) को निशाना बनाने की उच्च क्षमता प्रदान करेंगे, जिससे समुद्री सुरक्षा बढ़ेगी।
इसके अतिरिक्त, 30mm नेवल सरफेस गन (समुद्री डकैती जैसे कम तीव्रता वाले ऑपरेशन के लिए), इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम (रात में लक्ष्य ट्रैक करने के लिए), और 76mm सुपर रैपिड गन माउंट के लिए स्मार्ट एम्युनिशन (तेज और सटीक हमला) को भी मंजूरी मिली है।
वायुसेना के लिए हवाई श्रेष्ठता: लंबी दूरी का CLRTS/DS
भारतीय वायुसेना के लिए कोलैबोरेटिव लॉन्ग रेंज टारगेट सैचुरेशन/डिस्ट्रक्शन सिस्टम (CLRTS/DS) की खरीद को मंजूरी दी गई है।
CLRTS/DS क्या है?: यह एक लंबी दूरी का सहयोगी सिस्टम है जो ड्रोन या मिसाइल के रूप में कार्य करता है।
क्षमता: यह स्वचालित टेकऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन, लक्ष्य ढूंढने और पेलोड (बम) डिलीवर करने में सक्षम है।
रणनीतिक महत्व: यह प्रणाली वायुसेना को दुश्मन के इलाके में घुसकर बिना पायलट के हमला करने और लक्ष्य को ‘सैचुरेट’ (पूरी तरह से नष्ट) करने की अभूतपूर्व क्षमता प्रदान करेगी।
यह मंजूरी भारतीय रक्षा उद्योग को एक बड़ा बढ़ावा देगी और प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूत करेगी, क्योंकि ये सभी अधिग्रहण घरेलू स्तर पर किए जाएंगे।