करिश्मा का खुलासा: माधुरी के साथ काम करने से डरती थीं हीरोइनें!

'दिल तो पागल है' की कास्टिंग का दिलचस्प किस्सा; माधुरी की स्टारडम का था खौफ

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  • अभिनेत्री करिश्मा कपूर ने एक पुराने इंटरव्यू में खुलासा किया है कि सुपरहिट फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के लिए माधुरी दीक्षित के साथ दूसरी हीरोइन का रोल कोई नहीं करना चाहता था।
  • करिश्मा ने बताया कि उस समय की टॉप अभिनेत्रियों ने भी माधुरी दीक्षित की लोकप्रियता और डांस स्किल्स के कारण उनके सामने आने से इनकार कर दिया था।
  • यह रोल आखिर में करिश्मा कपूर ने निभाया, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

समग्र समाचार सेवा
यश चोपड़ा की 1997 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘दिल तो पागल है’ आज भी बॉलीवुड की सबसे रोमांटिक और म्यूजिकल फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म में शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। हाल ही में, करिश्मा कपूर का एक पुराना इंटरव्यू फिर से चर्चा में आया है, जिसमें उन्होंने फिल्म की कास्टिंग से जुड़ा एक दिलचस्प और हैरान करने वाला किस्सा साझा किया है।

करिश्मा ने खुलासा किया कि फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ दूसरी लीड एक्ट्रेस (पूजा के दोस्त निशा का किरदार) का रोल निभाने के लिए कोई भी अभिनेत्री तैयार नहीं थी। उस दौर की कई टॉप हीरोइनों को यह रोल ऑफर किया गया था, लेकिन सभी ने मना कर दिया। करिश्मा के अनुसार, इसकी सबसे बड़ी वजह माधुरी दीक्षित का उस समय का स्टारडम और उनकी डांसिंग क्वीन की छवि थी।

करिश्मा ने क्यों स्वीकारा चुनौतीपूर्ण रोल?

करिश्मा कपूर ने बताया कि माधुरी दीक्षित इतनी बड़ी स्टार थीं और उनकी डांसिंग इतनी ज़बरदस्त थी कि बाकी अभिनेत्रियों को लगा कि अगर उन्होंने यह रोल किया, तो वे माधुरी के सामने फीकी पड़ जाएंगी। यह रोल चुनौती भरा था, क्योंकि इसमें माधुरी के साथ कदम से कदम मिलाना था, ख़ासकर डांस सीन्स में। करिश्मा ने कहा, “यह रोल इसलिए मुश्किल था क्योंकि सबको लगता था कि माधुरी के साथ डांस कौन करेगा? वो इतनी बड़ी स्टार हैं, उनके सामने कौन आएगा?”

करिश्मा कपूर ने इस चुनौती को स्वीकार किया और ‘निशा’ के किरदार को अमर कर दिया। उन्होंने न केवल माधुरी के साथ स्क्रीन शेयर किया, बल्कि अपने डांस और एक्टिंग से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। करिश्मा की मेहनत और दमदार परफॉर्मेंस का ही नतीजा था कि उन्हें इस भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (National Film Award) मिला। यह साबित करता है कि उन्होंने इस रोल को एक जोखिम के तौर पर नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा साबित करने के एक अवसर के तौर पर लिया।

‘दिल तो पागल है’ की सफलता का राज

‘दिल तो पागल है’ न केवल शाहरुख खान और माधुरी दीक्षित की केमिस्ट्री के लिए, बल्कि करिश्मा कपूर के दमदार किरदार के लिए भी याद की जाती है। फिल्म की कहानी, संगीत और भव्य सेट ने इसे यश चोपड़ा की क्लासिक फिल्मों की श्रेणी में ला खड़ा किया। करिश्मा के इस खुलासे से यह साफ होता है कि बॉलीवुड में प्रतिस्पर्धा कितनी कठिन रही है, और कई बार बड़े स्टार के सामने छोटे रोल करने से अभिनेत्रियाँ क्यों हिचकती हैं।

यह इंटरव्यू आज की अभिनेत्रियों को भी एक संदेश देता है कि रोल की लंबाई या सह-कलाकार की लोकप्रियता से डरने के बजाय, उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए। करिश्मा कपूर ने उस दौर में माधुरी जैसी सुपरस्टार के साथ काम करके न सिर्फ अपनी जगह बनाई, बल्कि साबित कर दिया कि एक कलाकार को किसी भी रोल में अपनी छाप छोड़ने के लिए आत्मविश्वास और मेहनत की ज़रूरत होती है।

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