सत्ता में परिवारवाद और अहंकार मजदूर विरोधी: सत्य पाल जैन

चंडीगढ़ के पूर्व सांसद ने विश्वकर्मा जयंती पर मज़दूर रैली में नेताओं को दिया विनम्रता का संदेश

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  • चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने नेताओं को अहंकार और परिवारवाद त्यागने का संदेश दिया और इसे मजदूर विरोधी करार दिया।
  • उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में परिवारवाद, जहाँ पिता के बाद पुत्र, पत्नी, जीजा, साला, साली आदि सत्ता पाते हैं, उसका कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
  • श्री जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित कर दिया है कि एक गरीब व्यक्ति भी अपनी योग्यता के आधार पर सर्वोच्च पद प्राप्त कर सकता है।

समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 22 अक्टूबर: भगवान विश्वकर्मा जयंती और मजदूर दिवस के पावन अवसर पर, चंडीगढ़ के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता श्री सत्य पाल जैन ने देश के राजनीतिक नेताओं को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर राजनीतिक नेताओं के लिए सबसे बड़ा संदेश यही है कि वे अहंकार और परिवारवाद को त्याग दें और विनम्रता तथा समर्पण को अपनी जीवन शैली का अभिन्न अंग बनाएं।

श्री जैन आज सैक्टर 44-45 के लेबर चौक पर चंडीगढ़ की कंस्ट्रक्शन वर्कर लेबर यूनियन द्वारा आयोजित भगवान विश्वकर्मा पूजा समारोह के संबंध में एक विशाल मज़दूर रैली को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस रैली में शहर के विभिन्न हिस्सों से हजारों गरीब मजदूरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

परिवारवाद लोकतंत्र में अस्वीकार्य

श्री जैन ने परिवारवाद की राजनीति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रथा मजदूर विरोधी है। उन्होंने कहा, “परिवारवाद, जिसमें पहले पिता, फिर उसका पुत्र फिर उसकी पत्नी, जीजा, साला, साली आदि आते हैं, मजदूर विरोधी हैं तथा इन चीजों का सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने भारत के लोकतंत्र की ताकत पर जोर देते हुए कहा कि जो लोग केवल अपने पारिवारिक नाम या वंश के कारण सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं, उनका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। श्री जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा, “श्री नरेन्द्र मोदी जी ने साबित किया है कि एक गरीब आदमी भी अपनी योग्यता के आधार पर प्रधानमंत्री बन सकता है।” यह बयान उन विपक्षी दलों पर सीधा निशाना था जिन पर अकसर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है।

मजदूरों से सीखें विनम्रता

पूर्व सांसद ने गरीब मेहनतकश मजदूरों के जीवन दर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक गरीब मजदूर चाहे कितनी भी विपरीत दशा में हो, वह कभी भी अहंकार नहीं करता और जीवन में हमेशा विनम्रता अपनाकर रखता है।

उन्होंने दुख व्यक्त किया कि आज के दौर के कई नेताओं में परिवारवाद और अहंकार दोनों बढ़ रहे हैं, जिससे उनकी सहज विनम्रता कम होती जा रही है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं से अपील की कि वे गरीब मजदूरों से सबक सीखें। श्री जैन ने नेताओं को सलाह दी, “परिवारवाद एवं अहंकार को त्यागकर विनम्रता को अपनाना चाहिए और अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से उपर उठकर, ईमानदारी से अपना दायित्व निभाना चाहिए।”

विश्वकर्मा जी राष्ट्र निर्माण के मसीहा

श्री जैन ने भगवान विश्वकर्मा को मेहनतकश लोगों का मसीहा बताया। उन्होंने कहा कि भगवान विश्वकर्मा ने अपने अनुयायियों को ईमानदारी और सादगी के साथ राष्ट्र निर्माण में लगे रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने अंत में यह मांग भी रखी कि समाज में हुई आर्थिक उन्नति में इन गरीब मजदूरों को भी बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए, क्योंकि उनके श्रम के बिना किसी भी राष्ट्र का निर्माण असंभव है। यह रैली न केवल भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंच बनी, बल्कि राजनीतिक शुचिता और ईमानदारी पर चिंतन का केंद्र भी बनी।

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