भारत में छात्र आंदोलन या राजनीतिक नाट्य

सड़कों और विश्वविद्यालयों में अचानक प्रदर्शन की लहर 37 प्रदर्शनों की संगठित श्रृंखला ?

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पूनम शर्मा
पिछले महीने भारत के कई हिस्सों में छात्र और युवा प्रदर्शन अचानक बढ़ गए हैं। जयपुर, दिल्ली, लखनऊ, असम, चेन्नई और हैदराबाद तक एनएसयूआई, एसएफआई, आइसा और एआईएमआईएम जैसी संस्थाओं के नेतृत्व में ये आंदोलन केवल छात्र अधिकारों या सामाजिक मुद्दों तक सीमित नहीं रहे। विशेषज्ञ इसे भाड़े के या स्क्रिप्टेड प्रदर्शन मान रहे हैं, जो राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकता को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हैं।
राजनीतिक एजेंडा की परतें

जयपुर: NSUI और कांग्रेस समर्थकों ने RSS कार्यालय के पास प्रदर्शन कर छात्र नेताओं की रिहाई की मांग की।

असम: युवा कांग्रेस ने गायक जुबिन गर्ग की मौत को लेकर 8,000 से अधिक लोगों के साथ रैली आयोजित की, जिसे राजनीतिक संदेश देने के लिए भुनाया गया।

हरियाणा: IPS अधिकारी प्रवीण कुमार की कथित आत्महत्या पर राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन।

दिल्ली: CJI के आवास पर हमले के विरोध में आम आदमी पार्टी द्वारा संगठित प्रदर्शनों की श्रृंखला।

संतिनगर: AIMPLB और AIMIM ने धार्मिक आयोजनों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन किया।

सामूहिक योजना या आकस्मिक आंदोलन?

11 सितंबर से 12 अक्टूबर, 2025 के बीच हुए 37 प्रदर्शनों की श्रृंखला ने स्पष्ट किया कि ये केवल स्थानीय समस्याओं का प्रतिफल नहीं हैं। उनके संदेश, तारीख और स्थानों की समानता यह दर्शाती है कि यह केंद्रित और संगठित राजनीतिक योजना का हिस्सा है। छात्र ऊर्जा को राजनीतिक और वैचारिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया।

युवा शक्ति और राष्ट्र की अखंडता की चुनौती

ये प्रदर्शन सिर्फ प्रशासनिक विफलता का संकेत नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश हैं। जब युवाओं को धर्म, पहचान और राजनीति के माध्यम से उकसाया जाता है, तो यह सक्रियता नहीं, बल्कि राष्ट्रविरोध बन जाती है।

भविष्य की दिशा: जागरूकता और अखंड भारत

सच्चा लोकतंत्र केवल विरोध और अशांति नहीं, बल्कि जिम्मेदारी, सत्य और रचनात्मक संवाद पर आधारित है। यह समय है कि हम इन 37 प्रदर्शनों को पहचानें: यह भाड़े का प्रदर्शन उद्योग है, जो भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अखंडता को चुनौती देता है।

आज चुनौती हमारे ही विश्वविद्यालयों और सड़कों से आ रही है। हमें ‘अखंड भारत’ की रक्षा के लिए एकजुट रहना होगा, जहाँ  एकता, अनुशासन और धर्मिक अखंडता प्रचार और विभाजनकारी राजनीति पर भारी हो।

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