पूर्वोत्तर बना भारत का ग्रोथ इंजन: सिंधिया ने गिनाईं रिकॉर्ड उपलब्धियाँ

एक वर्ष में ₹4.48 लाख करोड़ का ऐतिहासिक निवेश; इंफ्रास्ट्रक्चर में तेज़ सुधार से 'भारत का प्रवेश द्वार' बना क्षेत्र

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  • रिकॉर्ड निवेश और इवेंट्स: मई 2025 में ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट‘ के दौरान क्षेत्र में 4.48 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए, जो अब तक का सर्वाधिक निवेश है।
  • प्रभावी परियोजना क्रियान्वयन: मंत्रालय की 91 प्रतिशत परियोजनाएँ क्रियान्वित हो चुकी हैं, जो परियोजनाओं की डिजिटल ट्रैकिंग और बेहतर निगरानी का परिणाम है।
  • बुनियादी ढांचे में क्रांति: हवाई अड्डों की संख्या 9 से बढ़कर 17 हो गई है, और वर्ष 2029 तक सभी पूर्वोत्तर राज्य रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।

समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर: केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) के पिछले एक वर्ष (अक्टूबर 2024 से अक्टूबर 2025) की अभूतपूर्व उपलब्धियों का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के तहत पूर्वोत्तर भारत का ‘ग्रोथ इंजन’ बन गया है। सिंधिया ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में क्षेत्र ने 9-11 प्रतिशत सीएजीआर (CAGR) की अतुलनीय जीडीपी वृद्धि दर्ज की है।

वैश्विक पटल पर ‘अष्टलक्ष्मी‘ की पहचान

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि पूर्वोत्तर को वैश्विक मानचित्र पर लाने के लिए मंत्रालय ने कई अग्रणी कदम उठाए हैं।

रिकॉर्ड निवेश: मई 2025 में आयोजित ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट‘ में 4.48 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए।

अष्टलक्ष्मी महोत्सव: दिसंबर 2025 में आयोजित इस महोत्सव में 2,326 करोड़ के व्यावसायिक समझौते हुए, जिसमें 320 से अधिक शिल्पकारों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया।

बैंकिंग और डिजिटल सुदृढ़ीकरण: दिसंबर 2024 में हुए ‘नॉर्थ ईस्ट बैंकर्स कॉन्क्लेव‘ के बाद बैंकों ने 51 नई शाखाएँ खोलने और डिजिटल बैंकिंग को मजबूत करने की घोषणा की।

युवाओं को जोड़ने के विशेष कार्यक्रम

सिंधिया ने दो प्रमुख युवा विनिमय कार्यक्रमों की घोषणा की:

एनई स्पार्क्स (NE Sparks): इस कार्यक्रम के तहत पूर्वोत्तर के 800 विद्यार्थियों को इसरो (ISRO) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के भ्रमण और अनुसंधान के लिए भेजा गया है।

अष्टलक्ष्मी दर्शन: यह एक नया कार्यक्रम है जिसके तहत देशभर के छात्र पूर्वोत्तर के विद्यालयों में 14 दिवसीय अध्ययन भ्रमण के लिए आएंगे, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय समझ बढ़ेगी।

सुशासन और संस्थागत सुधार

सिंधिया ने सुशासन को विकास का इंजन बताते हुए कई संस्थागत सुधारों का उल्लेख किया:

सेक्टोरल हाई-लेवल टास्क फोर्स (HLTFs): पहली बार मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में आठ HLTFs का गठन किया गया है। ये टास्क फोर्स पर्यटन, कृषि, निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में अंतरराज्यीय सहयोग और नीति समन्वय सुनिश्चित कर रही हैं।

इंटर-मिनिस्टीरियल फसिलिटेशन सिस्टम: इस प्रणाली के माध्यम से शिलॉन्ग और कैलाशहर एयरपोर्ट तथा सिक्किम हाइवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं के लंबित कार्यों को तेज़ी से सुलझाया गया है।

परियोजना क्रियान्वयन में 91% की सफलता दर

मंत्रालय ने परियोजनाओं की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग शुरू की है। इसका परिणाम रिकॉर्ड तोड़ रहा है।

कुल 620 परियोजनाओं में से 599 का थर्ड पार्टी निरीक्षण पूरा हुआ है।

पूरी हो चुकी 245 परियोजनाओं में से 223 परियोजनाएँ सफलतापूर्वक संचालित हो चुकी हैं, जो 91 प्रतिशत की प्रभावशाली क्रियान्वयन दर को दर्शाती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर क्रांति से भारत का प्रवेश द्वार बना पूर्वोत्तर

सिंधिया ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हुई प्रगति ने पूर्वोत्तर की पहचान को ‘अंतिम सीमा’ से बदलकर ‘भारत का प्रवेश द्वार’ (Gateway to India) बना दिया है।

हवाई संपर्क: एक दशक पहले 8 राज्यों में केवल 9 हवाई अड्डे थे, जबकि आज यह संख्या बढ़कर 17 हो गई है, जिसमें से केवल अरुणाचल प्रदेश में ही 4 हवाई अड्डे हैं।

रेल संपर्क: वर्ष 2029 तक पूर्वोत्तर के सभी राज्य रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी: कालादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और इंडियाम्यांमारथाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना पर तीव्र गति से कार्य हो रहा है, जो क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ेगा।

रिकॉर्ड बजट उपयोग और व्यय में वृद्धि

केन्द्रीय मंत्री ने वित्तीय अनुशासन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 202425 में मंत्रालय ने 3,447 करोड़ का ऐतिहासिक व्यय दर्ज किया, जो पिछले तीन वर्षों की तुलना में 209% की वृद्धि है। 2025-26 के लिए यह लक्ष्य बढ़ाकर 5,500 करोड़ तय किया गया है।

सिंधिया ने निष्कर्ष में कहा, “पूर्वोत्तर क्षेत्र केवल भौगोलिक नहीं, भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है। हमारी प्रतिबद्धता है कि विकास के हर चरण में पूर्वोत्तर अग्रणी भूमिका में रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप माना है और यह अष्टलक्ष्मी अब भारत का ग्रोथ इंजन बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर हो रही है।”

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