गुजरात में CM छोड़ पूरी कैबिनेट का इस्तीफा

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रखी नई टीम की नींव, रिवाबा जडेजा के शामिल होने की चर्चा

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  • मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर मौजूदा कैबिनेट के सभी 16 मंत्रियों ने औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है।
  • यह कदम 17 अक्टूबर को होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार से पहले बड़े फेरबदल और नई टीम के गठन का संकेत देता है।
  • इस्तीफे के बाद, रिवाबा जडेजा (क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी) और अन्य युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं

समग्र समाचार सेवा

गांधीनगर, 16 अक्टूबर: गुजरात की राजनीति में गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025 को एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जिसने आगामी मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही हलचल तेज कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर उनकी मौजूदा कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस सामूहिक इस्तीफे को शुक्रवार, 17 अक्टूबर को होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Reshuffle) से पहले पार्टी आलाकमान की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसका सीधा मतलब है कि अब मुख्यमंत्री पूरी तरह से नए सिरे से अपनी टीम का गठन करेंगे, जिसमें पुराने और नए चेहरों का मिश्रण देखने को मिलेगा।

सामूहिक इस्तीफे का सियासी मायने

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सामूहिक इस्तीफा भाजपा की ओर से एक शक्तिशाली संकेत है।

पूर्ण स्वतंत्रता और नवीनीकरण (Full Freedom for Reshuffle)

सभी मंत्रियों का इस्तीफा देना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को अपनी टीम चुनने और पुराने मंत्रियों के परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें हटाने की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई है। यह केवल विस्तार नहीं, बल्कि एक संपूर्ण पुनर्गठन (Total Restructuring) है। इस कदम से मुख्यमंत्री युवा और ऊर्जावान विधायकों को शामिल कर सकते हैं, जिससे सरकार की छवि और काम करने की गति बेहतर हो सकेगी।

परफॉर्मेंस पर सख्ती

पार्टी आलाकमान और सीएम पटेल ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदर्शन ही योग्यता का एकमात्र पैमाना होगा। जिन मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड कमजोर रहा है, या जिनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) का खतरा है, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। यह 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है, जहां पार्टी किसी भी तरह के जोखिम से बचना चाहती है।

नए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण

इस कदम से मुख्यमंत्री को क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को फिर से स्थापित करने का मौका मिलेगा। पिछले विस्तार के बाद से लंबित पड़े आदिवासी, ओबीसी और पाटीदार समुदाय के प्रतिनिधित्व के दावों को अब पूरी तरह से साधा जा सकेगा। सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात के क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व देकर आगामी स्थानीय और विधानसभा चुनावों में मजबूत आधार तैयार किया जा सकता है।

रिवाबा जडेजा और युवा चेहरे: संभावित एंट्री

मंत्रिमंडल विस्तार में जिन नए चेहरों पर सबकी निगाहें टिकी हैं, उनमें सबसे प्रमुख नाम रिवाबा जडेजा का है, जो जामनगर उत्तर सीट से विधायक हैं। रिवाबा को मंत्री बनाए जाने की अटकलें काफी समय से चल रही हैं।

संभावित नए चेहरों पर फोकस:

रिवाबा जडेजा: पाटीदार समुदाय से आने वाली और एक लोकप्रिय चेहरा, रिवाबा को शामिल करके पार्टी युवाओं और महिलाओं को एक साथ साधने की कोशिश कर सकती है।

युवा नेतृत्व: कई युवा विधायकों, जिन्होंने संगठन में अच्छा काम किया है, उन्हें मंत्री पद मिल सकता है।

अनुभवी नेता: कुछ पुराने, अनुभवी नेताओं को भी वापस लाया जा सकता है, जिन्हें पिछले फेरबदल में जगह नहीं मिली थी, ताकि प्रशासनिक अनुभव का लाभ उठाया जा सके।

17 अक्टूबर को राज्यपाल आचार्य देवव्रत नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। इस शपथ ग्रहण समारोह में यह स्पष्ट हो जाएगा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपनी नई टीम में किन क्षेत्रों, जातियों और अनुभवों को प्राथमिकता दी है और 2027 के चुनावी रण के लिए कैसी रणनीति तैयार की है। यह विस्तार गुजरात की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।

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