एसोसिएटेड चैंबर्स (यूपी-यूके) ने सराहे GST सुधार; 2 लाख करोड़ के लाभ से अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई गति

चैंबर ने आम जनता को कर कटौती से हुए बड़े फायदे के लिए सरकार को धन्यवाद दिया, दाल और आटे पर राहत देने की मांग

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  • GST की दरों में अप्रत्याशित कमी, जनता को ₹2 लाख करोड़ का लाभ।
  • चैंबर ने दाल और आटे जैसी आवश्यक वस्तुओं की छोटी पैकिंग को GST से मुक्त करने का सुझाव दिया।
  • सलाहकार विनायक नाथ ने कहा: भारत अब दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी कर ढांचे वाले देशों में शामिल।

समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 15 अक्टूबर: एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री– यूपी-यूके (Associated Chambers of Commerce and Industry– UP-UK) ने लखनऊ स्थित अपने मुख्यालय पर आयोजित एक महत्वपूर्ण परिचर्चा में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा किए गए हालिया GST सुधारों की खुलकर सराहना की। चैंबर ने इस बात पर जोर दिया कि GST दरों में की गई ताज़ा कटौती से आम जनता को दो लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का बड़ा लाभ होगा, जिसके लिए सरकार धन्यवाद की पात्र है।

जनता को बड़ी राहत, राजस्व का मामूली नुकसान

चैंबर के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रमोद कुमार वैश्य ने इस अवसर पर केंद्र सरकार के साहसिक निर्णय की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि गरीबों को सीधे लाभ पहुँचाने के लिए, दाल और आटे जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं की छोटी पैकिंग (small packings) को GST से पूरी तरह मुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि गरीब वर्ग मुख्यतः इन्हीं पैकिंग्स का उपयोग करता है।

उत्तर प्रदेश की GST ग्रीवाँस रिड्रेसल कमेटी के सदस्य मनीष खेमका ने इन सुधारों को 2017 में GST लागू होने के बाद से सबसे बड़ा सुधार बताया। उन्होंने कहा कि GST की दरों में इस बार अप्रत्याशित रूप से कमी की गई है। खेमका ने स्पष्ट किया कि भले ही इससे सरकार को क़रीब ₹50 हज़ार करोड़ के राजस्व का नुक़सान होगा, लेकिन इसके परिणामस्वरूप आम जनता को ₹2 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का फ़ायदा पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि यह पैसा अंततः अर्थव्यवस्था में वापस आएगा, जिससे भारतीय बाज़ारों का आकार बढ़ेगा और उद्योगों को फ़ायदा होगा।

अर्थव्यवस्था और अनुपालन पर सकारात्मक असर

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर अजय प्रकाश ने परिचर्चा का संचालन करते हुए ताज़ा GST कटौती के असर और वर्तमान चुनौतियों पर विशेषज्ञों से राय ली।

उत्तर प्रदेश सरकार के सलाहकार श्री विनायक नाथ ने इन सुधारों के भविष्योन्मुखी प्रभावों पर बात की। उन्होंने कहा कि ये सुधार स्टार्टअप्स को बढ़ावा देंगे और कर अनुपालन (tax compliance) में सुधार लाएंगे। नाथ ने यह भी बताया कि 5% कर स्लैब से सरकार की राजस्व प्राप्ति बढ़ेगी और इन कदमों के कारण भारत अब दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी कर ढांचे वाले देशों में शामिल हो गया है।

कृषि और MSME क्षेत्र को बढ़ावा

चैंबर के महासचिव श्री राजीव कक्कड़ ने कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान केंद्रित किया, जो भारत की 42% कार्यबल को रोजगार देता है। उन्होंने बताया कि जीएसटी 2.0 (GST 2.0) ने इनपुट लागत को कम किया है, जिससे छोटे किसानों के लाभ मार्जिन में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यंत्रीकरण (mechanization) को भी बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से कम लागत वाले कृषि उपकरण बनाने वाले एमएसएमई (MSME) को बाजार में बढ़त मिली है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए डॉ. पंकज मित्तल ने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की प्रभावशीलता सिद्ध की। उन्होंने कहा कि यदि कर स्लैब को 1% तक घटा दिया जाए, तो GST से प्राप्त राजस्व आयकर की तुलना में पाँच गुना अधिक हो सकता है।

तम्बाकू और आवश्यक तेलों के कर में सुधार की मांग

चर्चा के दौरान उद्योग प्रतिनिधियों ने कुछ विसंगतियों की ओर ध्यान भी आकर्षित किया। श्री शैलेन्द्र जैन ने essential oils के कर निर्धारण में असंगतियों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगरबत्ती पर 5% जीएसटी है, जबकि परफ्यूम पर 18%, जो एक असंतुलन है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

तंबाकू उद्योग के प्रतिनिधि श्री स्वर्णेश गुप्ता ने सरकार से तंबाकू उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि तंबाकू पर ‘सिन टैक्स’ (Sin Tax) नहीं लगाया जाना चाहिए और सीमैप (CIMAP) जैसी संस्थाएं इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R&D) में सहायक हो सकती हैं।

समापन और आभार

चर्चा के समापन पर श्री राजीव कक्कड़ ने सभी प्रतिभागियों का विशेष रूप से श्री प्रमोद कुमार वैश्य और प्रोफेसर अजय प्रकाश का धन्यवाद किया। उन्होंने केंद्र सरकार को कर ढांचे के पुनर्गठन और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एक बार फिर से धन्यवाद ज्ञापित किया। GST सुधारों पर यह परिचर्चा एक सकारात्मक नोट पर समाप्त हुई, जिसमें आर्थिक विकास, जन कल्याण और कर अनुपालन में सुधार की उम्मीदें जताई गईं।

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