शरजील इमाम ने 24 घंटे में क्यों बदला मन? वापस ली जमानत याचिका
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोध से जुड़े मामले में आया नाटकीय मोड़
- जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने कार्कडूमा कोर्ट, दिल्ली में दायर अपनी अंतरिम जमानत याचिका सिर्फ 24 घंटे के भीतर वापस ले ली।
- यह याचिका उनके द्वारा दर्ज किए गए 2020 के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में दायर की गई थी।
- इमाम के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह अब इस मामले में अंतरिम जमानत नहीं चाहते हैं, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी रेगुलर जमानत याचिका पहले से ही लंबित है, जिसके चलते मन बदल गया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 अक्तूबर: CAA और दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र नेता शरजील इमाम ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए 24 घंटे के भीतर अपनी अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली है। शरजील इमाम पर 2020 में CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
शरजील इमाम के वकील ने सोमवार को कार्कडूमा कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत को सूचित किया कि इमाम इस चरण में अब अंतरिम जमानत नहीं चाहते हैं। याचिका वापस लेने के पीछे मुख्य कारण यह बताया गया कि उनकी नियमित जमानत याचिका (Regular Bail Plea) पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। इस तरह, इमाम ने एक ही मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही जमानत प्रक्रिया को समाप्त करने का फैसला किया।
कोर्ट ने इमाम के इस अचानक लिए गए फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई और उन्हें अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। इससे पहले, कोर्ट ने इसी मामले में 11 अक्टूबर को याचिका पर जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था, जिसके बाद यह नाटकीय घटनाक्रम सामने आया।
कई मामलों में जेल में हैं शरजील इमाम
शरजील इमाम पर दिल्ली और अन्य राज्यों में कई गंभीर आरोप हैं। उन्हें मुख्य रूप से 2020 के दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।
UAPA मामला: शरजील इमाम पर दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है। यह मामला UAPA के तहत दर्ज है।
भड़काऊ भाषण: 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और असम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
जमानत का संघर्ष: इमाम ने विभिन्न मामलों में कई बार जमानत के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें अब तक राहत नहीं मिली है। उनकी रेगुलर जमानत याचिका पर सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही है।
उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट में लंबित रेगुलर जमानत याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है। इसलिए, अंतरिम जमानत की याचिका पर जोर देने का कोई औचित्य नहीं रह गया था।
क्या है कानूनी पेच?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, एक ही मामले में अलग-अलग आधारों पर विभिन्न अदालतों में याचिकाएँ लंबित रखना एक जटिल प्रक्रिया है। शरजील इमाम का अंतरिम जमानत याचिका वापस लेना एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
अंतरिम जमानत (Interim Bail) आमतौर पर कम अवधि के लिए या किसी तत्काल आवश्यकता (जैसे बीमारी, शादी आदि) के लिए दी जाती है, जबकि नियमित जमानत (Regular Bail) मामले की योग्यता के आधार पर दी जाती है और इसका उद्देश्य लंबी अवधि की राहत प्रदान करना होता है। चूंकि उनकी रेगुलर जमानत याचिका पहले से ही हाईकोर्ट में लंबित है, इमाम की कानूनी टीम ने शायद हाईकोर्ट पर अपना ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है, जो उन्हें स्थायी राहत प्रदान कर सकता है। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि CAA विरोध और दंगों से जुड़े मामलों में कानूनी लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है।