लद्दाख को छठी अनुसूची का वादा अधूरा: जयराम रमेश का निशाना

मंगोलिया के राष्ट्रपति के दौरे से पहले कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार को घेरा

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  • कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा पूरा न करने का आरोप लगाया है।
  • उन्होंने यह टिप्पणी मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेल्सुख उक्ना के भारत दौरे (13-16 अक्टूबर) से ठीक पहले करते हुए, 19वें कुशोक बकुला रिनपोचे की कूटनीतिक भूमिका को याद किया।
  • रमेश ने आरोप लगाया कि स्थानीय हिल काउंसिल चुनाव 2020 में बीजेपी ने लद्दाख को संवैधानिक संरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में रहते हुए अब वह इससे मुकर रही है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल करने के अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं कर रही है। यह टिप्पणी एक ऐसे समय में आई है जब मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेल्सुख उक्ना एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत के दौरे पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं।

रमेश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “आज मंगोलिया के राष्ट्रपति नई दिल्ली पहुंच रहे हैं… 19वें कुशोक बकुला रिनपोचे का लद्दाख अब उस पार्टी के नेतृत्व से सुधार की उम्मीद कर रहा है, जिसने स्थानीय हिल काउंसिल चुनाव 2020 में छठी अनुसूची का संवैधानिक संरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन अब इसे पूरा नहीं कर रही।”

उन्होंने सरकार से लद्दाख की जनता को न्याय और संवैधानिक संरक्षण दिलाने की जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया।

कूटनीति में कुशोक बकुला रिनपोचे की भूमिका

जयराम रमेश ने भारत और मंगोलिया के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में 19वें कुशोक बकुला रिनपोचे के ऐतिहासिक योगदान को याद किया।

राजदूत की नियुक्ति: रमेश ने बताया कि 1989 में राजीव गांधी द्वारा कुशोक बकुला रिनपोचे को भारत का मंगोलिया में राजदूत नियुक्त करना दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने संबंधों को एक नई दिशा दी।

बौद्ध धर्म और सम्मान: उन्होंने रिनपोचे के योगदान को याद किया, जिन्होंने मंगोलिया और भारत दोनों में बौद्ध धर्म की संस्कृति को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में लेह हवाई अड्डे का नाम भी 19वें कुशोक बकुला रिनपोचे के नाम पर रखा था।

ऐतिहासिक संबंध: भारत और मंगोलिया के बीच कूटनीतिक संबंध दिसंबर 1955 से हैं, और भारत ने अक्टूबर 1961 में मंगोलिया को संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

लद्दाख में विरोध प्रदर्शन और NSA कार्रवाई

रमेश का यह बयान लद्दाख में राज्यहुड (Statehood) और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों को लेकर चल रहे तीव्र विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आया है।

हिंसक विरोध: 24 सितंबर को ये विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसमें पुलिस कार्रवाई के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी।

सोनम वांगचुक की हिरासत: इसके अलावा, प्रख्यात जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो इन मांगों के समर्थन में भूख हड़ताल पर थे, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया।

इन घटनाक्रमों को देखते हुए, कांग्रेस नेता ने केंद्र पर 2020 में किए गए वादों से मुकरने का आरोप लगाकर, लद्दाख के मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर फिर से गरमा दिया है।

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