‘राष्ट्र पहले, स्वयं बाद में’: उपराष्ट्रपति ने लोकनायक JP को किया नमन
सीताब दियारा में जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि, लोकतंत्र और नैतिक शासन के आदर्शों पर जोर
- उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) को उनकी 123वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
- उन्होंने जेपी के ‘जनता राजनीति से ऊपर’ और ‘राष्ट्र पहले, स्वयं बाद में’ के आदर्शों को लोकतंत्र का अंतरात्मा बताया।
- उपराष्ट्रपति ने ‘संपूर्ण क्रांति’ को विचारों का आंदोलन बताया और देश से सत्य, न्याय और जनशक्ति के प्रति प्रतिबद्धता दोहराने का आह्वान किया।
समग्र समाचार सेवा
सीताब दियारा, बिहार, 12 अक्टूबर: भारत के उपराष्ट्रपति, श्री सी.पी. राधाकृष्णन, ने शुक्रवार को बिहार के सारण जिले में स्थित सीताब दियारा गाँव में भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) को उनकी 123वीं जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति ने जेपी के पैतृक गाँव में स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय स्मारक, स्मृति भवन और पुस्तकालय का दौरा किया। उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की और भारतीय लोकतंत्र के इस महान नायक के जीवन और आदर्शों पर अपने विचार व्यक्त किए।
जेपी: भारतीय लोकतंत्र के सच्चे अंतरात्मा
सभा को संबोधित करते हुए, श्री राधाकृष्णन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को सच्चा जननायक और भारतीय लोकतंत्र का अंतरात्मा (Conscience Keeper) बताया। उन्होंने जेपी के ‘जनता राजनीति से ऊपर’ (People above Politics) और ‘राष्ट्र पहले, स्वयं बाद में’ (Nation above Self) के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि जयप्रकाश नारायण का मानना था कि लोक शक्ति (जनता की शक्ति) को हमेशा राज्य शक्ति (राज्य की शक्ति) पर हावी होना चाहिए। यह सिद्धांत नैतिक शासन (Ethical Governance) और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए उनका अटूट समर्पण दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आज के राजनीतिक परिदृश्य में, जब स्वार्थ और सत्ता की राजनीति हावी होती दिखती है, जेपी के आदर्श हमें सही दिशा दिखाते हैं।
संपूर्ण क्रांति: हथियारों का नहीं, विचारों का आंदोलन
उपराष्ट्रपति ने 1970 के दशक के ऐतिहासिक संपूर्ण क्रांति आंदोलन को याद किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह आंदोलन हथियारों का नहीं, बल्कि विचारों का आंदोलन था। इसका मुख्य उद्देश्य स्वच्छ शासन, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन लाना था।
श्री राधाकृष्णन ने उस आंदोलन के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को भी याद किया, जब वह कोयंबटूर में एक युवा नेता के रूप में सक्रिय थे। उन्होंने कहा कि संपूर्ण क्रांति ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी और हमें यह सिखाया कि सत्य और अहिंसा की नींव पर भी बड़े से बड़े अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जेपी ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण की शक्ति के रूप में देखा, और आज भी उनकी यह दृष्टि ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
प्रभाती देवी का राष्ट्र के प्रति समर्पण
उपराष्ट्रपति ने लोकनायक की धर्मपत्नी श्रीमती प्रभाती देवी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने प्रभाती देवी के त्याग और राष्ट्र के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी महान नेता की सफलता के पीछे उनके जीवनसाथी का त्याग और समर्थन होता है, और प्रभाती देवी ने निःस्वार्थ भाव से जयप्रकाश नारायण के हर संघर्ष में उनका साथ दिया।
विकसित भारत के लिए जेपी के आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे जयप्रकाश नारायण के आदर्शों—सत्य, न्याय, अहिंसा और जन सशक्तिकरण—के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करें। उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 का निर्माण केवल आर्थिक विकास से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए हमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों को भी मजबूत करना होगा, जैसा कि जेपी ने हमें सिखाया था।
उपराष्ट्रपति का सीताब दियारा दौरा और उनका वक्तव्य इस बात को रेखांकित करता है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विरासत आज भी सत्ता के गलियारों में कितनी महत्वपूर्ण है। उनकी जन-केंद्रित राजनीति और सच्चाई के प्रति अटूट आस्था आज भी देश के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में एक मार्गदर्शक सिद्धांत का काम कर रही है।