संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बताया- नागपुर में ही क्यों बना RSS

भागवत बोले: आरएसएस जैसा संगठन केवल नागपुर में ही संभव, इसकी वजह है शहर का अनूठा इतिहास

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  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शहर के महत्व पर प्रकाश डाला।
  • भागवत ने कहा कि RSS जैसा संगठन केवल नागपुर में ही स्थापित हो सकता था, क्योंकि इस शहर में “राष्ट्रवाद की विशेष चेतना” थी।
  • उन्होंने शहर के इतिहास, जिसमें डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्मस्थान होना और स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बनना शामिल है, को RSS की स्थापना का अद्वितीय आधार बताया।

समग्र समाचार सेवा
नागपुर, 11 अक्टूबर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को संघ के स्थापना स्थल नागपुर की ऐतिहासिक और वैचारिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आरएसएस जैसा संगठन केवल नागपुर में ही आकार ले सकता था, क्योंकि इस शहर में वह अद्वितीय वैचारिक पृष्ठभूमि मौजूद थी जो डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को संघ की नींव रखने के लिए प्रेरित कर सकती थी।

भागवत नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘नागपुर – एक सांस्कृतिक राजधानी’ विषय पर बोल रहे थे। उनके इस बयान ने शहर के महत्व को राष्ट्रीय परिदृश्य पर फिर से रेखांकित किया है, न केवल एक भौगोलिक केंद्र के रूप में, बल्कि ‘राष्ट्रवाद की चेतना’ के स्रोत के रूप में।

नागपुर: राष्ट्रवाद की विशेष चेतना का केंद्र

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में विस्तार से बताया कि क्यों नागपुर को एक ‘सांस्कृतिक राजधानी’ माना जाता है और कैसे इसका इतिहास सीधे तौर पर आरएसएस की स्थापना से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा, “आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्मस्थल होने के अलावा, नागपुर का एक विशेष इतिहास है। यह वह भूमि है जहाँ राष्ट्रवाद की विशेष चेतना हमेशा सक्रिय रही। यहाँ के लोगों में स्वाभिमान, सांस्कृतिक पहचान और स्वतंत्रता की भावना अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक गहरी थी।” भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल भौतिक या भौगोलिक कारण ही पर्याप्त नहीं थे; वैचारिक और सामाजिक वातावरण ने ही संघ को जन्म दिया।

उन्होंने कहा कि आरएसएस सिर्फ एक संगठन नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की उस भावना का मूर्तरूप है जो वर्षों से नागपुर की मिट्टी में पल रही थी। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जिस समय डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की, उस समय देश आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, और नागपुर में स्वतंत्रता संग्राम की लहरें काफी मजबूत थीं।

संघ स्थापना में शहर की वैचारिक पृष्ठभूमि की भूमिका

भागवत ने बताया कि नागपुर का सामाजिक ताना-बाना और यहाँ की बौद्धिक परंपराएं एक ऐसे विचार के जन्म के लिए आदर्श थीं, जो राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को केंद्र में रखता हो। उन्होंने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार ने महसूस किया कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही पर्याप्त नहीं है; देश को आंतरिक शक्ति और एकजुटता की भी आवश्यकता है।

उन्होंने जोर दिया कि इसी भावना को नागपुर के लोगों ने गहराई से आत्मसात किया। उन्होंने कहा, “अन्य स्थानों पर भी देशभक्त थे, लेकिन नागपुर में वे लोग थे जो केवल विरोध प्रदर्शनों से संतुष्ट नहीं थे, बल्कि एक स्थायी और रचनात्मक राष्ट्र निर्माण की नींव रखना चाहते थे।” भागवत ने कहा कि नागपुर ने डॉ. हेडगेवार को वह उर्वर भूमि प्रदान की जहाँ राष्ट्र के प्रति प्रेम और निःस्वार्थ सेवा का विचार एक वटवृक्ष बन सका।

नागपुर का अनूठा इतिहास और संस्कृति

भागवत ने नागपुर के इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर बात की, जिसमें शहर का मध्य भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राजनीतिक चौराहा रहा है। उन्होंने कहा कि यहाँ विभिन्न संस्कृतियों और विचारों का संगम हुआ, जिसने एक समावेशी लेकिन मजबूत राष्ट्रीय पहचान को जन्म दिया।

उन्होंने कहा कि संघ की कार्यप्रणाली, जो शाखाओं के माध्यम से व्यक्तिगत चरित्र निर्माण और सामाजिक जिम्मेदारी पर केंद्रित है, को नागपुर के सामाजिक मूल्यों से बल मिला। यह शहर ही वह पहला केंद्र बना जिसने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक राष्ट्रवाद के बीच एक सेतु का काम किया।

संघ प्रमुख ने निष्कर्षतः कहा कि आरएसएस का नागपुर में स्थापित होना कोई संयोग नहीं, बल्कि यहाँ की विशेष चेतना, बौद्धिक वातावरण और सामाजिक सक्रियता का परिणाम है। उनका यह बयान उस विचार को बल देता है कि नागपुर न केवल संघ का मुख्यालय है, बल्कि यह उस राष्ट्रवादी विचारधारा का भी जन्मस्थान है जो आज देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव रखती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे नागपुर की इस सांस्कृतिक विरासत को समझें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।

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