“दर्द पर भी जीत जरूरी होती है” — स्नेह राणा ने बताया, कैसे पीरियड्स के दौरान भी मैदान पर नहीं रुकती महिला खिलाड़ी
"दर्द रुकता नहीं, बस हौसला बढ़ जाता है" — स्नेह राणा ने खोला मैदान के पीछे की असली लड़ाई
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महिला खिलाड़ियों को पीरियड्स के दौरान तीव्र दर्द और क्रैम्प्स झेलने पड़ते हैं।
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भारतीय क्रिकेटर स्नेह राणा ने बताया, कैसे खेल और पीरियड्स साथ-साथ चलते हैं।
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हॉट पैड्स और दवाओं की मदद से दर्द पर काबू पाकर मैदान में डटी रहती हैं खिलाड़ी।
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“पीरियड्स में भी मैं ज़्यादा अच्छा परफॉर्म करती हूं,” — स्नेह राणा का आत्मविश्वास।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर: महिलाओं का शरीर हर महीने एक प्राकृतिक प्रक्रिया से गुजरता है, मेनस्ट्रुएशन यानी पीरियड्स। इस दौरान कई महिलाएं तेज दर्द, क्रैम्प्स और थकावट का सामना करती हैं। कभी-कभी यह दर्द इतना गहरा होता है कि रोजमर्रा के काम भी मुश्किल लगने लगते हैं। लेकिन सोचिए, जब यही दौर किसी महिला खिलाड़ी पर आता है, तब क्या होता होगा? मैदान, मैच, और प्रदर्शन का दबाव, सब कुछ एक साथ।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार ऑलराउंडर स्नेह राणा ने हाल ही में लल्लनटॉप के शो ‘बैठकी’ में इस पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि महिला एथलीट्स कैसे पीरियड्स के दर्द को हराकर देश के लिए मैदान पर उतरती हैं।
स्नेह ने कहा,
“ये बहुत अहम टॉपिक है, क्योंकि ज़्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि हम इस फेज़ से गुजरते हुए भी खेलते हैं। मुझे पर्सनली बहुत ज़्यादा क्रैम्प्स होते हैं। कई बार मैच के दौरान दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन खेल रुकता नहीं।”
वो आगे कहती हैं —
> “जब आप अपने देश को रिप्रेज़ेंट कर रहे होते हैं, तब दर्द पीछे छूट जाता है। शरीर तकलीफ देता है, लेकिन दिमाग कहता है — खेलना है, जीतना है। यही मानसिक मजबूती हमें मैदान में टिकाए रखती है।”
स्नेह ने यह भी बताया कि टीम की महिलाएं हॉट पैड्स का इस्तेमाल करती हैं ताकि दर्द थोड़ा कम किया जा सके। लेकिन उनका कहना है कि यह सब सिर्फ एक तरीका है दर्द से लड़ने का, रुकने का नहीं।
“मेरे साथ तो उल्टा होता है,” स्नेह हंसते हुए कहती हैं,
“जब मुझे पीरियड्स होते हैं, तब मेरा परफॉर्मेंस और अच्छा हो जाता है। शायद इसलिए कि मैं दर्द को अपनी ताकत बना लेती हूं।”
उनकी बातों ने यह साबित कर दिया कि महिलाओं का खेल सिर्फ शरीर की ताकत का नहीं, बल्कि हौसले और मानसिक मजबूती का भी खेल है।