अफगान विदेश मंत्री ने महिला पत्रकारों को रोका, प्रियंका गांधी ने उठाया सवाल या खेली राजनीति?
अफगान मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को रोका — भारत में यह अस्वीकार्य,
-
अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने केवल पुरुष पत्रकारों को सवाल-जवाब के लिए अनुमति दी।
-
घटना तालिबानी मानसिकता और महिलाओं के प्रति भेदभाव को उजागर करती है।
-
भारत में पत्रकारिता का आधार स्वतंत्रता, समानता और सम्मान है।
-
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री से सवाल किया, लेकिन उनका राजनीतिक रुख स्पष्ट दिखा।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर:
दिल्ली में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दी गई, जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। मुत्तकी ने केवल पुरुष पत्रकारों से सवाल-जवाब किए, जबकि कई महिला पत्रकारों को बाहर ही रोक दिया गया।
यह घटना उस सोच को दर्शाती है जो तालिबानी मानसिकता में महिलाओं की भूमिका को सीमित मानती है। भारत जैसे देश में, जहाँ महिलाओं को समानता और सम्मान का अधिकार संविधान से मिला है, ऐसे व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
भारत में महिला पत्रकारों को रोकना भारतीय मूल्यों के खिलाफ
भारत में पत्रकारिता का आधार स्वतंत्रता, समानता और सम्मान है।
किसी भी विदेशी प्रतिनिधि को यहां महिलाओं के साथ भेदभाव करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। यह भारत की लोकतांत्रिक गरिमा के खिलाफ है और महिला पत्रकारों के आत्मसम्मान पर आघात है।
प्रियंका गांधी ने उठाया मुद्दा, पर राजनीतिक रंग साफ़ दिखा
घटना के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि महिला पत्रकारों को क्यों रोका गया और सरकार ने इस पर क्या रुख अपनाया है।
लेकिन सवाल यह उठता है, क्या प्रियंका गांधी सच में महिलाओं के अधिकारों को लेकर चिंतित हैं या फिर यह बयान भी उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?
प्रियंका गांधी उस समय चुप थीं जब बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के साथ अत्याचार हुए, जब उनकी इज्जत लूटी जा रही थी, मंदिरों पर हमले हो रहे थे।
तब उन्होंने न तो ट्वीट किया, न प्रेस कॉन्फ्रेंस की, न प्रधानमंत्री से सवाल पूछा।
आज जब एक विदेशी मंत्री के कारण विवाद खड़ा हुआ, तो उन्होंने तुरंत इसे सरकार पर हमला करने का मौका बना लिया।
ऐसे में यह सवाल उचित है कि क्या प्रियंका गांधी के लिए महिलाओं का सम्मान सिर्फ राजनीतिक भाषणों का मुद्दा है?
राजनीति से बड़ा मुद्दा है महिलाओं का सम्मान
महिला पत्रकारों के साथ जो हुआ वह पूरी तरह गलत है। भारत में किसी विदेशी प्रतिनिधि को ऐसी भेदभावपूर्ण मानसिकता दिखाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
लेकिन दुख की बात यह है कि जिन नेताओं को वास्तव में महिलाओं के लिए आवाज़ उठानी चाहिए,
वे इस तरह की घटनाओं का इस्तेमाल राजनीति चमकाने के लिए करते हैं,
और यही हमारी सामाजिक संवेदना को कमजोर करता है।