दैनिक जागरण साहित्य सम्मान: अमित शाह ने किया महेंद्र मधुकर के ‘वक्रतुंड’ उपन्यास को सम्मानित
गृह मंत्री ने कहा, "नरेन्द्र मोहन जी ने पत्रकारिता को मूल्य, मर्यादा और साहस से जोड़ा"; 'हिंदी हैं हम' अभियान की सराहना
- दैनिक जागरण समूह ने पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में “दैनिक जागरण साहित्य सृजन सम्मान” और “नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान 2025” का आयोजन किया।
- गृह मंत्री अमित शाह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे, जिन्होंने पत्रकारिता के मूल्यों और हिंदी भाषा के महत्व पर ज़ोर दिया।
- महेंद्र मधुकर के उपन्यास ‘वक्रतुंड’ को प्रथम “जागरण साहित्य सृजन सम्मान” प्राप्त हुआ; विक्रम सम्पत सहित चार लेखकों को सम्मानित किया गया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: दैनिक जागरण समूह ने अपने पूर्व प्रधान संपादक नरेन्द्र मोहन जी की जयंती के अवसर पर साहित्य और पत्रकारिता के सम्मान में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया। नई दिल्ली के होटल ली मेरिडियन के सोवरेन हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में “दैनिक जागरण साहित्य सृजन सम्मान” और “नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान” का आयोजन किया गया। इस भव्य कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में उपस्थित रहे, जिन्होंने साहित्य, भाषा और राष्ट्रीयता के गहरे संबंधों पर अपने विचार व्यक्त किए।
शाह ने सराही नरेन्द्र मोहन की पत्रकारिता
अपने संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने नरेन्द्र मोहन जी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने पत्रकारिता को केवल सूचना देने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे मूल्य, मर्यादा और साहस के साथ जोड़ा। अमित शाह ने कहा, “आपातकाल के कठिन समय में दैनिक जागरण ने निर्भीकता दिखाते हुए लोकतंत्र की रक्षा में एक अहम भूमिका निभाई थी। आज की पत्रकारिता को उनके सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी चाहिए।”
गृह मंत्री ने दैनिक जागरण के “हिंदी हैं हम” अभियान की भी सराहना की और कहा कि भाषा किसी भी संस्कृति और राष्ट्रीयता की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करने के लिए अपनी भाषाओं का सम्मान और प्रचार आवश्यक है।
महेंद्र मधुकर का ‘वक्रतुंड’ हुआ सम्मानित
हिंदी साहित्य जगत के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूह, दैनिक जागरण द्वारा स्थापित पहले ‘जागरण साहित्य सृजन सम्मान’ से लेखक महेंद्र मधुकर को उनके उल्लेखनीय उपन्यास ‘वक्रतुंड’ के लिए नवाज़ा गया।
महेंद्र मधुकर का उपन्यास ‘वक्रतुंड’ अपनी अनूठी कथावस्तु और गहन सामाजिक-सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि के लिए जाना जाता है। इस उपन्यास में भारतीय समाज के जटिल पहलुओं को गहराई से छुआ गया है, जिसके लिए निर्णायक मंडल ने इसे प्रथम ‘जागरण साहित्य सृजन सम्मान’ के योग्य पाया। यह सम्मान हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले रचनाकारों को प्रोत्साहित करने की दैनिक जागरण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कुल चार लेखकों को उनकी उत्कृष्ट कृतियों के लिए सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:
विक्रम सम्पत: ‘सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज (1883–1924)’
कैलाश मंजू विश्नोई: ‘UPSC वाला लव कलेक्टर साहिबा’
मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त: ‘भारतवर्ष के आक्रांताओं की कलंक कथाएं’
महेंद्र मधुकर: ‘वक्रतुंड’
साहित्य हमेशा कुआं रहेगा: प्रसून जोशी
इस अवसर पर फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और प्रसिद्ध कवि प्रसून जोशी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने साहित्य और पाठक के रिश्ते को एक अनूठे अंदाज़ में परिभाषित किया। जोशी ने कहा, “साहित्य हमेशा कुआं रहेगा और पाठक हमेशा प्यासा रहेगा।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य की गहराई कभी कम नहीं होती, और सच्चे पाठक की जिज्ञासा हमेशा बनी रहती है।
कार्यक्रम में अन्य प्रमुख साहित्यकार, शिक्षाविद और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जिनमें प्रो. सच्चिदानंद जोशी, प्रो. कुमुद शर्मा, चित्तरंजन जी और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता शरण कुमार लिंबाले शामिल थे। दीप प्रज्वलन, नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान, और सम्मान समारोह ने इस कार्यक्रम को एक यादगार साहित्यिक आयोजन बना दिया। यह समारोह दैनिक जागरण समूह की हिंदी भाषा, साहित्य और साहसिक पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।