बिहार में मतदाता सूची अपडेट: एसआईआर प्रक्रिया पूरी, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित

47 लाख नाम हटाए गए, 21 लाख नए मतदाता जुड़े, अवैध विदेशी प्रवासियों की संख्या अस्पष्ट।

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  • अंतिम मतदाता सूची में कुल मतदाता संख्या 7.42 करोड़ हुई, यानी लगभग 6% की कमी।
  • 68.66 लाख मतदाता सूची से हटाए गए, जबकि 21.53 लाख नए मतदाता शामिल किए गए।
  • दस्तावेज़ों की कमी और दावे/आपत्तियों से जुड़े विवरण अस्पष्ट।
  • अवैध विदेशी प्रवासियों की वास्तविक संख्या का खुलासा नहीं हुआ।

समग्र समाचार सेवा

पटना, बिहार | 1 अक्टूबर:बिहार में चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया 30 सितंबर 2025 को पूरी हो गई। अंतिम मतदाता सूची के अनुसार राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 6% घटकर 7.42 करोड़ रह गई। आयोग ने इस प्रक्रिया में 68.66 लाख नाम हटाए और 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े, लेकिन हटाए गए नामों और नए मतदाताओं के संदर्भ में कई अहम सवाल अब भी अनुत्तरित हैं। विशेष रूप से यह स्पष्ट नहीं किया गया कि हटाए गए मतदाता दस्तावेज़ों की कमी के कारण थे या अन्य कारणों से, और अवैध विदेशी प्रवासियों की वास्तविक संख्या कितनी थी।

चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को एसआईआर की घोषणा करते समय कहा था कि इसका मुख्य उद्देश्य बिहार की मतदाता सूची को त्रुटिरहित और पारदर्शी बनाना है। आयोग ने यह भी माना कि सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध विदेशी प्रवासी भी शामिल हो सकते हैं।

एसआईआर के दौरान, ड्राफ्ट मतदाता सूची में कुल 65 लाख नाम हटाए गए थे। आयोग ने बताया कि इनमें से 22 लाख मृतक थे, 36 लाख स्थायी रूप से कहीं और चले गए या मिल नहीं सके, और 7 लाख के नाम डुप्लीकेट पाए गए। इसके बाद, अंतिम सूची में 3.66 लाख मतदाता अयोग्य पाए जाने के बाद हटाए गए, जबकि 21.53 लाख नए मतदाता शामिल किए गए। हालांकि, आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि नए मतदाता पूरी तरह नए हैं या दावे/आपत्ति प्रक्रिया के दौरान आवेदन करने वाले शामिल हैं।

दस्तावेज़ संबंधी नियमों ने भी विवाद पैदा किया। आयोग ने जन्मतिथि और जन्मस्थान के प्रमाण के लिए 11 दस्तावेज़ों की सूची जारी की, जिनमें से कई दस्तावेज़ आम जनता के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं थे। इसी कारण बड़ी संख्या में मतदाता सूची से बाहर होने का जोखिम बढ़ गया। अंततः सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही आयोग ने आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया।

इसके अलावा, आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 47 लाख हटाए गए मतदाताओं में कितने दस्तावेज़ों की कमी के कारण बाहर हुए और कितने अन्य कारणों से। इसी तरह, एसआईआर के दौरान पाए गए विदेशी अवैध प्रवासियों की संख्या भी आधिकारिक बयान में शामिल नहीं की गई।

चुनाव आयोग की जारी की गई रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया कि ड्राफ्ट सूची से हटाए गए 3.66 लाख मतदाता पहले क्यों शामिल किए गए थे और बाद में उन्हें हटाने का निर्णय कैसे लिया गया। इसके साथ ही, नए 21.53 लाख मतदाताओं की वास्तविक स्थिति भी अस्पष्ट है।

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