US के H-1B फीस बढ़ाने पर UK की ‘फ्री वीजा’ की योजना

अमेरिका की नई नीति से परेशान भारतीयों को UK लुभा रहा, ग्लोबल टैलेंट पर नजर।

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  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा H-1B वीजा शुल्क में भारी वृद्धि के जवाब में, यूके सरकार ‘फ्री वीजा’ देने पर विचार कर रही है।
  • ब्रिटेन की विपक्षी पार्टी, लेबर पार्टी, ने एक ‘ग्लोबल टैलेंट रिफॉर्म‘ का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी नीति से निराश हो रहे प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करना है।
  • यह कदम विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करेगा, जो H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी हैं और अब अमेरिका की बजाय यूके को एक बेहतर विकल्प मान सकते हैं।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 सितंबर, 2025:
अमेरिका के हालिया H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि ने दुनियाभर के पेशेवरों, खासकर भारत के आईटी क्षेत्र के लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक H-1B वीजा आवेदन के लिए $100,000 का भारी-भरकम शुल्क लगाया है, जिसका उद्देश्य ‘अमेरिका फर्स्ट‘ नीति के तहत अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देना है। हालांकि, अमेरिका के इस कदम ने ब्रिटेन के लिए एक नया अवसर पैदा कर दिया है। ब्रिटेन अब अमेरिका की नीति से निराश हो रहे अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी वीजा प्रणाली में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रहा है।

ब्रिटेन की लेबर पार्टी के नेता केयर स्टार्मर के नेतृत्व में, ‘ग्लोबल टैलेंट रिफॉर्म‘ (वैश्विक प्रतिभा सुधार) पर विचार किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य प्रतिभाशाली व्यक्तियों को यूके में काम करने के लिए आकर्षित करना है। इस प्रस्ताव में ‘फ्री वीजा’ की पेशकश भी शामिल हो सकती है, जिसका मतलब है कि कुछ विशिष्ट क्षेत्रों, जैसे कि प्रौद्योगिकी और विज्ञान, के कुशल पेशेवरों को वीजा शुल्क में छूट दी जा सकती है। यह कदम ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और उसके प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मौजूदा कौशल की कमी को दूर करने में मदद करेगा।

भारतीय पेशेवरों के लिए नया विकल्प

अमेरिका की H-1B नीति में बदलाव का सबसे बड़ा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ा है, जो हर साल इस वीजा के लिए सबसे अधिक आवेदन करते हैं। कई भारतीय कंपनियां और आईटी पेशेवर अब अमेरिका जाने के बजाय एक और विकल्प की तलाश में हैं। ऐसे में ब्रिटेन का यह कदम उनके लिए एक बड़ा आकर्षण साबित हो सकता है। यह न केवल भारतीय पेशेवरों को एक नया गंतव्य प्रदान करेगा, बल्कि यूके को एक अधिक खुला और व्यवसाय-अनुकूल देश के रूप में भी स्थापित करेगा।

लेबर पार्टी का मानना है कि अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियां उसे विश्व मंच पर कमजोर कर रही हैं। ऐसे में यूके एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में अपनी भूमिका स्थापित कर सकता है। पार्टी का कहना है कि वे एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं जो भविष्य के लिए तैयार हो, और ऐसा करने के लिए उन्हें दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली दिमागों की जरूरत है।

यह योजना अभी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन अगर यह लागू होती है, तो यह वैश्विक प्रतिभा प्रवास के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती है। यह अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक सीधी प्रतिस्पर्धा को जन्म देगा, जिसमें भारत जैसे देशों से प्रतिभा को अपनी ओर खींचने की होड़ होगी। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह योजना कितनी जल्दी आकार लेती है और इसका भारतीय पेशेवरों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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