विद्या भारती की शैक्षिक संगोष्ठी, भारत केंद्रित शिक्षा पर जोर
'नई शिक्षा नीति 2020' के सफल क्रियान्वयन पर चर्चा, नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति भी शामिल।
- विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान ने भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा के प्रसार के लिए नई दिल्ली में एक शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया।
- संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के प्रभावी क्रियान्वयन और भारत-केंद्रित शिक्षा पर चर्चा करना था।
- कार्यक्रम में नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव सहित कई विशिष्ट अतिथि और शिक्षाविद शामिल हुए, जिन्होंने प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति की प्रासंगिकता पर बात की।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 सितंबर, 2025: भारत का सबसे बड़ा गैर-सरकारी शिक्षा संगठन, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, राष्ट्र निर्माण के लिए भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करने के अपने मिशन पर लगातार काम कर रहा है। इसी क्रम में, विद्या भारती उत्तर क्षेत्र द्वारा 21 सितंबर, 2025 को छत्तरपुर के तेरापंथ भवन में एक दिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में देशभर से आए विद्वानों और शिक्षाविदों ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार और नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के सफल क्रियान्वयन पर गहन विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की वंदना से हुआ, जिसमें पूज्या साध्वी डॉ. अमृता दीदी जी और डॉ. कुंदन रेखा जी ने अपने आशीर्वचन से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। दोनों पूज्या साध्वियों ने भारतीय संस्कृति के जागरण और सनातन परंपराओं के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
संगोष्ठी में विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री डी. रामकृष्ण राव, सह संगठन मंत्री श्रीराम जी आरावकर, महामंत्री श्री देशराज शर्मा सहित अनेक वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया। नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम दिया। अपने संबोधन में श्री राम बरन यादव ने प्राचीन भारतीय गुरुकुल शिक्षा पद्धति की सराहना की और बताया कि किस तरह यह पद्धति वर्तमान समय में भी पूरी तरह से प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा को अगर भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाए तो यह समाज में बेहतर नागरिकों का निर्माण कर सकती है।

आचार्यों के प्रशिक्षण और वैदिक संस्कृति पर जोर
विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री डी. रामकृष्ण राव ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी शैक्षिक संस्थानों की यह जिम्मेदारी है कि वे एक साथ मिलकर नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि भारत-केंद्रित शिक्षा ही देश को नई दिशा दे सकती है और भारत को फिर से विश्वगुरु बना सकती है।
राष्ट्रीय महामंत्री श्री देशराज शर्मा ने शिक्षा प्रणाली में आचार्यों (शिक्षकों) के प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर आचार्य प्रशिक्षित होंगे, तभी वे छात्रों को सही दिशा दे पाएंगे। चिन्मय मिशन की अम्मा जी ने भी वैदिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बात की।
संगोष्ठी में उत्तर क्षेत्र के 32 विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए लगभग 60 शिक्षाविद और विद्वतजन शामिल हुए। उन्होंने एक साथ ‘ॐ’ ध्वनि के माध्यम से अपनी एकता और परस्पर सहयोग की भावना व्यक्त की। इस कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र के साथ हुआ। समस्त व्यवस्थाएँ विद्या भारती दिल्ली प्रांत की टीम द्वारा संचालित की गईं, और महामंत्री डॉ. सतीश महेश्वरी ने सभी कार्यकर्ताओं को सफलता के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। यह प्रेस विज्ञप्ति विद्या भारती दिल्ली प्रांत के प्रचार विभाग प्रमुख डॉ. शैलेश भारद्वाज द्वारा जारी की गई है।