संघ के वरिष्ठ प्रचारक मधुभाई कुलकर्णी का निधन

88 वर्ष की आयु में संभाजीनगर में ली अंतिम सांस, संघ में निभाईं कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां।

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  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और विचारक मधुभाई कुलकर्णी का 88 वर्ष की आयु में 18 सितंबर, 2025 को छत्रपति संभाजीनगर में निधन हो गया।
  • उन्होंने 1962 में संघ के प्रचारक के रूप में अपना जीवन समर्पित किया और पुणे, गुजरात और पश्चिम क्षेत्र में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं।
  • मधुभाई ने युवाओं के लिए ‘अथातो संघ जिज्ञासा’ नामक पुस्तक लिखी, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ, जिसने संघ को समझने में मदद की।

समग्र समाचार सेवा
संभाजीनगर, 21 सितंबर, 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने एक समर्पित और अनुभवी प्रचारक मधुभाई कुलकर्णी को खो दिया है। श्री माधव विनायक कुलकर्णी, जिन्हें मधुभाई के नाम से जाना जाता था, का 88 वर्ष की आयु में 18 सितंबर को छत्रपति संभाजीनगर के देवगिरी प्रांत में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से अस्वस्थ थे और अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन गुरुवार दोपहर उनकी जीवन यात्रा शांत हो गई।

मधुभाई का जन्म 17 मई, 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कर्नाटक के चिकौडी में हुई, जहाँ वे पहली बार संघ शाखा से जुड़े। उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई कोल्हापुर के विद्यापीठ हाईस्कूल से पूरी की। वे स्वतंत्रता पूर्व और स्वातंत्र्योत्तर काल के प्रत्यक्षदर्शी थे, जिन्होंने देश के राजनीतिक और सामाजिक बदलावों को करीब से देखा। मुंबई के रुपारेल कॉलेज से बी.ए. की डिग्री और बाद में बी.एड. की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए मुंबई के सेल्स टैक्स ऑफिस में भी नौकरी की।

1962 में, मधुभाई ने अपना जीवन पूरी तरह से राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया और संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। महाराष्ट्र में रावेर-यावल तालुका, संभाजीनगर जिला और सोलापुर विभाग में काम करने के बाद, उन्होंने 1980 से 1984 तक पुणे महानगर प्रचारक के रूप में कार्य किया। इस दौरान, पुणे में महाराष्ट्र का भव्य तलजाई शिविर सफलतापूर्वक आयोजित हुआ।

इसके बाद, 1984 से 1996 तक वे गुजरात प्रांत प्रचारक रहे। उनकी संगठनात्मक क्षमता के कारण उन्हें 1996 से 2003 तक पश्चिम क्षेत्र प्रचारक और 2003 से 2009 तक अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। 2015 तक वे संघ की कार्यकारिणी मंडल के सदस्य रहे। दायित्व मुक्त होने के बाद भी, वे संभाजीनगर में रहकर अपने अनुभव से युवा स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करते रहे।

मधुभाई कुलकर्णी अपनी सादगी, समर्पण और सहजता के लिए जाने जाते थे। उनका दैनिक जीवन नित्य शाखा, प्रवास और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने से भरा रहता था। उन्होंने संघ में आने वाले नए युवाओं के लिए ‘अथातो संघ जिज्ञासा’ नामक एक पुस्तक भी लिखी, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। इस पुस्तक ने लाखों लोगों को संघ के सिद्धांतों और विचारों को समझने में मदद की। उनका निधन संघ परिवार और उनके संपर्क में आए सभी लोगों के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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