रामलीला में पूनम पांडे के रोल पर विवाद, लवकुश समिति करेगी पुनर्विचार
मंदोदरी के किरदार पर हंगामा, विश्व हिंदू परिषद और संत समाज ने जताई कड़ी आपत्ति।
- अभिनेत्री पूनम पांडे को दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला में मंदोदरी का किरदार दिए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है।
- उनके सार्वजनिक जीवन और बोल्ड छवि के कारण विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और संत समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
- बढ़ते विरोध को देखते हुए लवकुश रामलीला समिति इस फैसले पर पुनर्विचार कर रही है और जल्द ही अंतिम निर्णय ले सकती है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 सितंबर, 2025: दिल्ली में हर साल आयोजित होने वाली रामलीलाएं इस बार एक नए विवाद से घिर गई हैं। यह विवाद मशहूर अभिनेत्री पूनम पांडे को लाल किला की लवकुश रामलीला में मंदोदरी का किरदार दिए जाने को लेकर है। उनकी बोल्ड छवि और सार्वजनिक जीवन को देखते हुए कई हिंदू संगठनों और संत समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि रामलीला जैसा पवित्र मंच मर्यादा और आदर्शों का प्रतीक है, और ऐसी अभिनेत्री को इससे जोड़ना लाखों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की दिल्ली इकाई के मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने लवकुश रामलीला समिति को एक पत्र भेजकर इस पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पूनम पांडे का चयन रामलीला की पवित्रता और गरिमा के खिलाफ है। संतों ने भी इस निर्णय की आलोचना की है और मांग की है कि इसे तुरंत वापस लिया जाए। उनका तर्क है कि रामलीला सिर्फ एक नाटक नहीं, बल्कि एक धार्मिक अनुष्ठान है जो आने वाली पीढ़ियों को मर्यादा और नैतिकता की शिक्षा देता है।
इस विरोध के कारण लवकुश रामलीला समिति में भी अंदरूनी मतभेद उभरकर सामने आए हैं। समिति के महासचिव सुभाष गोयल ने स्वीकार किया है कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार किया जा रहा है। हालाँकि, समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने पूनम पांडे के चयन का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि पूनम पांडे रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार निभाएंगी, जो अंततः राम के ही संदेश देती हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सुधार लाना चाहता है तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए।
यह विवाद एक बड़े सवाल को जन्म देता है: क्या रामलीला जैसी पारंपरिक कलाओं को आधुनिक कलाकारों को शामिल करते समय उनकी सार्वजनिक छवि पर विचार करना चाहिए? कुछ लोगों का मानना है कि कलाकारों के निजी जीवन का उनके काम से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए, जबकि कई लोग मानते हैं कि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकारों की छवि का भी महत्व होता है।
फिलहाल, समिति ने इस मामले पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। पूनम पांडे का मंचन 29 और 30 सितंबर को होना है, और उम्मीद है कि समिति जल्द ही इस पर कोई आधिकारिक घोषणा करेगी। इस बीच, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर तीखी बहस जारी है, जहां लोग पक्ष और विपक्ष में अपनी राय रख रहे हैं।
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