सरकार की पहल: विदेशों से लौटें भारतीय पेशेवर, विकास के लिए दें योगदान

प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने कहा- विदेशी निर्भरता कम करने के लिए देश की क्षमता बढ़ाना जरूरी।

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  • भारत सरकार विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों और कुशल कामगारों को देश वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
  • यह पहल अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि जैसे वैश्विक चुनौतियों के बीच सामने आई है।
  • सरकार का उद्देश्य इन पेशेवरों की विशेषज्ञता और ज्ञान का उपयोग करके देश को आत्मनिर्भर बनाना और 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 सितंबर, 2025: वैश्विक व्यापार युद्ध, यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी भू-राजनीतिक तनाव और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के बीच भारत सरकार एक नई रणनीति पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को वापस बुलाकर देश की आंतरिक क्षमता को मजबूत करना है। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी.के. मिश्रा ने हाल ही में मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में इस पहल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश को अगले स्तर पर ले जाने और 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

मिश्रा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि कर दी है, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए अमेरिका में रहना और काम करना महंगा हो गया है। इस फैसले ने कई भारतीय पेशेवरों को स्वदेश वापसी पर विचार करने के लिए मजबूर किया है। सरकार इस अवसर को देश के लिए एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रही है।

डोमेन विशेषज्ञता और योग्यता पर जोर

पी.के. मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार शासन में सुधार के लिए भी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में नियुक्तियों में अब डोमेन विशेषज्ञता और योग्यता को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका मतलब है कि सही व्यक्ति को सही जगह पर रखा जाएगा, ताकि देश का विकास तेज हो सके। उन्होंने कहा कि आईआईएम जैसे संस्थान देश की क्षमता निर्माण और शासन सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

सरकार का यह कदम भारत को आत्मनिर्भर बनाने के बड़े विजन का हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी भी लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि विदेशी निर्भरता को कम करना ही देश की प्रगति का एकमात्र रास्ता है। विदेशी विशेषज्ञों और कामगारों को वापस बुलाकर भारत न केवल अपनी प्रतिभा का उपयोग कर पाएगा, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए भी बेहतर ढंग से तैयार हो पाएगा।

यह पहल उन भारतीय पेशेवरों के लिए भी एक अच्छा अवसर है, जो अपने देश के विकास में योगदान देना चाहते हैं। सरकार द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटल क्रांति और आर्थिक सुधारों ने भारत में भी करियर के कई नए अवसर पैदा किए हैं। ऐसे में, विदेशों से लौटकर ये पेशेवर न केवल अपने लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं, बल्कि देश की प्रगति में भी भागीदार बन सकते हैं।

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