पूनम शर्मा
इंडो-पैसिफ़िक का नया शक्ति केंद्र
21वीं सदी में इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र वैश्विक राजनीति का केंद्र बन गया है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाले समुद्री मार्ग दुनिया के 60% जीडीपी और 80% समुद्री व्यापार के लिए अनिवार्य हैं। भारत के लिए यह केवल भौगोलिक स्थिति नहीं, बल्कि सुरक्षा, आर्थिक शक्ति और वैश्विक नेतृत्व की राह है।
भारत की सामरिक दृष्टि: अंडमान और निकोबार की भूमिका
मोदी सरकार की “फ्री, ओपन और इन्क्लूसिव इंडो-पैसिफ़िक” रणनीति के तहत अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह केंद्र में हैं। पोर्ट ब्लेयर स्थित अंडमान और निकोबार कमांड भारत की एकमात्र त्रि-सेवा कमांड है, जो बंगाल की खाड़ी, मलक्का स्ट्रेट और हिंद-प्रशांत के महत्वपूर्ण जलमार्गों की निगरानी करती है।
कार निकोबार एयर बेस, आईएनएस बाज़ और संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से यह क्षेत्र भारत की दूरगामी नौसैनिक और हवाई शक्ति का प्रतीक बन गया है।
ग्रेट निकोबार परियोजना: विकास और सुरक्षा का संगम
भारत सरकार ने ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के तहत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, गहरे समुद्री बंदरगाह, ग्रीन एनर्जी और पर्यटन जैसे कई विकासात्मक कार्य शुरू किए हैं। यह केवल विकास परियोजना नहीं बल्कि भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति और समुद्री सुरक्षा रणनीति का अभिन्न हिस्सा है।
आलोचना और राजनीति: पर्यावरण बनाम राष्ट्रीय हित
कांग्रेस और कुछ पर्यावरण संगठनों ने इस परियोजना को “पारिस्थितिकी आपदा” बताकर आलोचना की है। सोनिया गांधी समेत कई नेताओं के लेख और बयान यह दर्शाते हैं कि रणनीतिक परियोजनाओं को पर्यावरण के नाम पर निशाना बनाने की पुरानी प्रवृत्ति जारी है।
हालांकि, इस परियोजना में सस्टेनेबल डिज़ाइन, रिन्यूएबल एनर्जी और बायो-डाइवर्सिटी मैनेजमेंट जैसी योजनाएँ शामिल हैं, जो पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती हैं।
चीन का बढ़ता दबदबा और भारत की तैयारी
दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता, सबमरीन बेस निर्माण और आक्रामक दावे भारत के लिए चुनौती बन चुके हैं। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह भारत को इन समुद्री गतिविधियों की निगरानी करने और रणनीतिक बढ़त बनाए रखने का अवसर देते हैं।
यही कारण है कि यह क्षेत्र सिर्फ़ सैन्य दृष्टि से नहीं बल्कि ऊर्जा और डिजिटल आपूर्ति-श्रृंखलाओं की सुरक्षा के लिए भी अहम हो गया है।
डिजिटल और ऊर्जा सुरक्षा का नया केंद्र
वैश्विक डेटा के 95% केबल्स इस क्षेत्र से गुजरते हैं। ऊर्जा और डिजिटल दोनों आपूर्ति-श्रृंखलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के लिए महत्वपूर्ण है। अंडमान और निकोबार की सामरिक स्थिति भारत को साइबर सुरक्षा और ऊर्जा आपूर्ति-श्रृंखला नियंत्रण में निर्णायक भूमिका देती है।
पारदर्शिता और जनता का विश्वास
सरकार को चाहिए कि वह अपने संचार और पारदर्शिता को और मज़बूत करे, ताकि जनता समझ सके कि यह परियोजना राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय संतुलन का अभिन्न हिस्सा है। इससे आलोचनाओं को तथ्यात्मक जवाब देना आसान होगा।
निष्कर्ष: द्वीपों से वैश्विक नेतृत्व की ओर
इंडो-पैसिफ़िक में भारत की निर्णायक भूमिका तभी संभव है जब अंडमान और निकोबार जैसे सामरिक केंद्र मज़बूत हों। यह केवल द्वीपों का विकास नहीं बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति का पुनर्परिभाषण है—जहाँ समुद्र हमारी सीमाएँ नहीं बल्कि शक्ति के गलियारे बनते हैं।