भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से होगी शुरू
ट्रंप प्रशासन के कड़े रुख के बाद रिश्तों में आई नरमी, अमेरिकी वार्ताकार नई दिल्ली पहुंच रहे हैं, दोनों देश व्यापार समझौते पर आगे बढ़ने को तैयार।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कड़े टैरिफ लगाने के बाद रुकी हुई भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से शुरू होगी।
- अमेरिकी वार्ताकार ब्रेंडन लिंच आज रात नई दिल्ली पहुंच रहे हैं, जहां वे अपने भारतीय समकक्ष से मिलेंगे।
- दोनों देशों के बीच 50% टैरिफ, डेयरी उत्पादों के आयात और कृषि क्षेत्र में पहुंच जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 सितंबर, 2025: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में आई कड़वाहट के बाद अब एक बार फिर से सुधार की उम्मीद जगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के मुख्य वार्ताकार ब्रेंडन लिंच आज रात नई दिल्ली पहुंच रहे हैं, जहां वे अपने भारतीय समकक्ष राजेश अग्रवाल के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर चर्चा करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव अपने चरम पर था, खासकर जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया था।
यह वार्ता का छठा दौर है, जिसे अगस्त के अंत में ट्रंप प्रशासन के कड़े रुख के कारण स्थगित कर दिया गया था। उस समय अमेरिका ने भारत पर 50% का टैरिफ लगाया था, जिसमें से 25% टैरिफ रूसी तेल खरीदने के लिए एक जुर्माने के तौर पर लगाया गया था। अमेरिका ने आरोप लगाया था कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में युद्ध के लिए धन मिल रहा है। हालांकि, भारत ने इस कार्रवाई को ‘अनुचित, अनुचित और अतार्किक’ बताया था और कहा था कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता पर आधारित है।
तनाव में कमी और बातचीत की नई राह
हाल ही में, दोनों देशों के नेताओं, विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ने सोशल मीडिया पर सकारात्मक बयान देकर रिश्तों में आई खटास को कम करने का संकेत दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के बयानों का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह बातचीत दोनों देशों की साझेदारी की ‘असीम क्षमता’ को उजागर करेगी। ट्रंप ने भी मोदी को अपना ‘बहुत अच्छा दोस्त’ बताया और कहा कि उन्हें विश्वास है कि एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल नहीं होगा। इस नई कूटनीतिक गर्मजोशी के बाद ही अमेरिकी वार्ताकार का दौरा संभव हो सका है।
इस बार की बातचीत में मुख्य मुद्दा भारत के कृषि और डेयरी बाजार में अमेरिकी पहुंच का है। भारत ने हमेशा से ही अपने छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका को बचाने के लिए इन क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादों को प्रवेश देने का विरोध किया है। हालांकि, खबरों के मुताबिक, अमेरिका ने अब अपने रुख में कुछ नरमी दिखाई है। अब वे बड़े पैमाने पर डेयरी बाजार तक पहुंच के बजाय भारत के प्रीमियम पनीर बाजार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो भारत के कुल डेयरी बाजार का एक छोटा हिस्सा है। यह एक संभावित समझौता हो सकता है, जिससे भारत के किसानों को कोई खतरा नहीं होगा।
चीन को साधने की रणनीति
कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को सुधारने के लिए उत्सुक है क्योंकि वह चीन को वैश्विक व्यापार परिदृश्य में नियंत्रित करना चाहता है। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और बड़ा बाजार अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी है। ट्रंप प्रशासन को यह भी एहसास है कि अगर भारत जैसे देश अमेरिका से दूर जाते हैं, तो यह चीन के लिए एक फायदा हो सकता है। यह बातचीत केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक भी है, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की कोशिशें शामिल हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, जो अभी 191 अरब डॉलर है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक मजबूत व्यापार समझौते की आवश्यकता होगी। यह वार्ता इस समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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