सत्य पाल जैन: क्षमावाणी सर्वोत्तम मानवीय व्यवहार

चंडीगढ़ में क्षमावाणी पर्व के दौरान पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने कहा कि दूसरों को क्षमा करना और स्वयं माफी मांगना सामाजिक संबंधों में मधुरता लाता है।

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  • चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने क्षमावाणी को मानवीय व्यवहार का सबसे उत्तम गुण बताया।
  • उन्होंने कहा कि समय रहते आपसी मनमुटाव खत्म करने से समाज में अनावश्यक तनाव कम होता है।
  • जैन धर्म द्वारा प्रतिवर्ष क्षमावाणी को एक त्यौहार की तरह मनाना दुनिया के लिए एक अद्भुत मिसाल है।

समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़, 14 सितंबर, 2025: चंडीगढ़ के पूर्व सांसद और भारत सरकार के अपर महाधिवक्ता सत्य पाल जैन ने रविवार को कहा कि क्षमायाचना करना ही मानव व्यवहार का सर्वोत्तम गुण है। जैन समाज द्वारा सेक्टर 27 बी स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित ‘क्षमावाणी’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए, श्री जैन ने इस बात पर जोर दिया कि अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना और दूसरों की गलतियों को माफ कर देना, दोनों ही क्रियाएं हमारे समाज को मजबूत और अधिक सामंजस्यपूर्ण बनाती हैं।

श्री जैन ने कहा कि यह मानवीय स्वभाव है कि एक साथ काम करते हुए या सामाजिक जीवन में कई बार अनजाने में कुछ ऐसी बातें कह दी जाती हैं, जिनसे दूसरे की भावनाएं आहत होती हैं। इससे शुरू हुआ मामूली मनमुटाव धीरे-धीरे शत्रुता का रूप ले सकता है, जिसका खामियाजा सभी संबंधित पक्षों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि समय रहते यदि इन मनमुटावों को खत्म कर दिया जाए, तो न केवल सामाजिक संबंध मधुर होते हैं, बल्कि समाज में व्याप्त अनावश्यक तनाव भी काफी हद तक कम हो जाता है।

जैन धर्म की अनूठी पहल

श्री जैन ने कहा कि हालांकि क्षमा करना सभी धर्मों में एक महान गुण माना गया है, लेकिन जैन धर्म ने इसे एक वार्षिक पर्व के रूप में मनाकर दुनिया के लिए एक अद्भुत मिसाल पेश की है। यह पर्व हर साल व्यक्तियों को एक ऐसा अवसर प्रदान करता है, जहां वे खुलकर अपनी आपसी शिकायतों को भूलकर एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और देते हैं। यह परंपरा मन में बैठी कड़वाहट को दूर करने का एक प्रभावी माध्यम है, जिससे दुश्मनी को पनपने से पहले ही समाप्त किया जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि आज के आधुनिक और व्यस्त जीवन में, जहां हर व्यक्ति तनाव में रहता है, वहां क्षमावाणी जैसे पर्वों का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह हमें सिखाता है कि मानसिक शांति और आंतरिक सद्भाव के लिए क्षमा सबसे शक्तिशाली हथियार है। इस पर्व के माध्यम से जैन समाज केवल अपने भीतर ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने का संदेश देता है।

जैन समाज ने किया सम्मान

इस अवसर पर, श्री दिगम्बर जैन मंदिर के प्रांगण में मौजूद विशाल जनसमूह ने श्री जैन के विचारों का तालियों के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में, जैन समाज की ओर से श्री सत्य पाल जैन को समाज में उनके योगदान और इस पावन पर्व पर उनकी उपस्थिति के लिए सम्मानित भी किया गया। इस सम्मान ने श्री जैन और जैन समुदाय के बीच के मजबूत रिश्ते को और गहरा कर दिया। यह आयोजन न केवल जैन धर्म की परंपराओं का पालन करने का एक अवसर था, बल्कि एक ऐसा मंच भी था, जिसने मानवता के सार्वभौमिक सिद्धांतों को बढ़ावा दिया।

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