फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन: पेरिस में 200 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

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  • फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन के तहत व्यापक विरोध प्रदर्शन।
  • सरकारी कर्ज कम करने की योजना को लेकर जनता में भारी गुस्सा।
  • पेरिस में 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, 80,000 पुलिसकर्मी तैनात।

समग्र समाचार सेवा
पेरिस, 10 सितंबर 2025 – नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बाद अब यूरोप के शक्तिशाली देश फ्रांस में भी जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। पेरिस सहित पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिसने सरकार को सकते में डाल दिया है। बुधवार सुबह राजधानी पेरिस और कई प्रमुख शहरों की सड़कों पर अराजकता का माहौल देखने को मिला, जहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हुईं। ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम के इस अभियान ने पूरे फ्रांस में परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से ठप कर दिया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने अकेले पेरिस में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।

क्यों भड़का फ्रांस में जनता का गुस्सा?

फ्रांस में यह आंदोलन ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब देश की राजनीतिक स्थिरता डगमगाई हुई है। प्रदर्शनों का मूल कारण पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो की सरकार द्वारा पेश की गई कठोर कटौती योजना है। बायरो ने देश का बढ़ता कर्ज कम करने के लिए £35 अरब (लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये) की कटौती का प्रस्ताव दिया था। यह सख्त कदम जनता को रास नहीं आया, जिसके बाद बायरो की सरकार संसद में अपना विश्वास खो बैठी और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार रात ही सेबास्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है, लेकिन इस बदलाव से भी जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। नए प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस आंदोलन को शांत करना और जनता का विश्वास फिर से हासिल करना है।

सड़कों पर अराजकता और पुलिस की सख्ती

राजधानी पेरिस की सड़कों पर नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह कूड़ेदानों और बैरिकेड्स को आग लगाकर सड़कें जाम कर दीं। बोरदॉ और मार्सिले जैसे बड़े शहरों में भी हालात नियंत्रण से बाहर होते दिखे, जहां भीड़ ने चौराहों पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर फ्लेयर्स और बोतलें फेंकी, जबकि राजधानी के व्यस्त रेलवे हब ‘गारे दू नॉर’ स्टेशन पर भी भीड़ ने धावा बोल दिया। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोग सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। अधिकारियों ने यह भी अनुमान लगाया है कि दिन ढलने के साथ-साथ भीड़ और हिंसक हो सकती है। सरकार ने स्थिति को काबू में लाने के लिए पूरे देश में 80,000 से अधिक पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए हैं।

यलो वेस्ट आंदोलन की यादें ताजा

यह नया आंदोलन फ्रांस के इतिहास के कुख्यात ‘यलो वेस्ट्स’ आंदोलन की याद दिला रहा है, जिसने कुछ साल पहले मैक्रों सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया था। उस आंदोलन की तरह, इस बार भी प्रदर्शनकारी सिर्फ सड़कों को जाम नहीं कर रहे, बल्कि तेल डिपो, सुपरमार्केट और पेट्रोल पंपों को भी निशाना बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ समूहों ने तो लोगों से दुकानों में लूटपाट करने की अपील भी की है, जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। यह आंदोलन दिखाता है कि फ्रांस की जनता अपने आर्थिक हितों को लेकर कितनी संवेदनशील है और वह सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। राष्ट्रपति मैक्रों और नए प्रधानमंत्री लेकोर्नू के लिए यह एक बड़ी परीक्षा है कि वे इस संकट से कैसे निपटते हैं और जनता के भरोसे को फिर से कैसे बहाल करते हैं।

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