“मोदी-मैक्रों वार्ता: भारत-फ्रांस साझेदारी और यूक्रेन शांति पर चर्चा”

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पूनम शर्मा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस सहयोग की प्रगति की समीक्षा की और यूक्रेन संघर्ष समेत कई वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।

आधिकारिक बयान के अनुसार, मोदी और मैक्रों ने आर्थिक सहयोग, रक्षा साझेदारी, वैज्ञानिक शोध, तकनीकी नवाचार और अंतरिक्ष सहयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में गहराते रिश्तों पर संतोष व्यक्त किया।

रणनीतिक साझेदारी पर ज़ोर

वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने होराइजन 2047 रोडमैप, इंडो-पैसिफिक रोडमैप और डिफेंस इंडस्ट्रियल रोडमैप के अनुरूप भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

होराइजन 2047 रोडमैप को वर्ष 2023 में राष्ट्रपति मैक्रों की भारत यात्रा के दौरान अपनाया गया था। यह रोडमैप वर्ष 2047 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शताब्दी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और इसे दीर्घकालिक सहयोग का खाका माना जाता है।

यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा

बातचीत में यूक्रेन युद्ध को लेकर चल रहे राजनयिक प्रयासों पर भी विचार हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की उस स्थायी नीति को दोहराया जिसमें कहा गया है कि संघर्ष का समाधान शांति और बातचीत से होना चाहिए। उन्होंने क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया।

आधिकारिक बयान के अनुसार, “प्रधानमंत्री मोदी ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और जल्द से जल्द स्थिरता लौटाने के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया।”

टेक्नोलॉजी और एआई कूटनीति

मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति को भारत द्वारा आयोजित होने वाले एआई इम्पैक्ट समिट (फरवरी 2026) में भाग लेने के लिए आमंत्रण स्वीकार करने पर धन्यवाद दिया। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक नेताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास करेगा, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के नैतिक और समावेशी विकास पर चर्चा होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे भारत में इस शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों का स्वागत करने को उत्सुक हैं।

निष्कर्ष

बातचीत का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि भारत और फ्रांस आपसी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नज़दीकी संपर्क बनाए रखेंगे और वैश्विक शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे।

भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी न केवल द्विपक्षीय संबंधों को गहराई दे रही है बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी नई दिशा तय कर रही है।

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