- बदला कार्यक्रम: पीएम मोदी का नाम पहले वक्ताओं की सूची में शामिल था, लेकिन अब इसे बदलकर ‘मंत्री’ कर दिया गया है।
- जयशंकर का संबोधन: विदेश मंत्री एस जयशंकर 27 सितंबर को यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और अपना भाषण देंगे।
- टैरिफ तनाव: यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर तनाव चल रहा है, जिसे इस बदलाव की एक वजह माना जा रहा है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 06 सितंबर 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएन) के वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका नहीं जाएंगे। उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर महासभा को संबोधित करेंगे। सूत्रों के अनुसार, यूएन की ओर से जारी वक्ताओं की संशोधित अस्थायी सूची में यह जानकारी सामने आई है।
यूएन महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर को शुरू होने जा रहा है, जबकि उच्च स्तरीय डिबेट 23 से 29 सितंबर तक चलेगा। जारी संशोधित अस्थायी सूची के अनुसार, भारत का प्रतिनिधित्व एक मंत्री द्वारा किया जाएगा, जिसका मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर को 27 सितंबर को महासभा को संबोधित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
इससे पहले जुलाई में जारी की गई अस्थायी सूची में पीएम मोदी का नाम 26 सितंबर को बोलने वाले वक्ताओं की सूची में शामिल था। यह बदलाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह भारत और अमेरिका के बीच चल रहे कुछ मुद्दों को दर्शाता है। एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि भारत, अमेरिका के साथ रूस से तेल खरीद पर लगाए गए टैरिफ को लेकर हुए मतभेदों के कारण यह कदम उठा रहा है।
पिछले साल पीएम मोदी ने वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से द्विपक्षीय मुलाकात के लिए अमेरिका की यात्रा की थी। हालांकि, इस बार यूएन सत्र में उनकी अनुपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ तनाव हो सकता है।
जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी का यूएन में न जाना एक कूटनीतिक संदेश भी हो सकता है। यह दिखाता है कि भारत अपने हितों और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, खासकर जब टैरिफ और व्यापार जैसे मुद्दों पर मतभेद हों। वहीं, यह भी हो सकता है कि पीएम मोदी का घरेलू एजेंडा व्यस्त हो।
इसके अलावा, यूएन की वक्ताओं की सूची अक्सर अस्थायी होती है और आखिरी मिनट में बदलाव की संभावना हमेशा बनी रहती है। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए, पीएम मोदी का यात्रा कार्यक्रम में बदलाव एक सोचा-समझा फैसला माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विदेश मंत्री जयशंकर अपने संबोधन में किन मुद्दों पर भारत का पक्ष रखते हैं, खासकर वैश्विक शांति, आतंकवाद, और आर्थिक सहयोग जैसे विषयों पर। यह भी ध्यान देने योग्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में 23 सितंबर को यूएन में अपना पहला संबोधन देंगे।
भारत की ओर से यह फैसला उसकी स्वतंत्र विदेश नीति का भी प्रमाण है, जहां वह किसी भी दबाव में आकर निर्णय नहीं लेता। यह दिखाता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक हितों को संतुलित करते हुए आगे बढ़ रहा है।