भारत-सिंगापुर रक्षा वार्ता, मजबूत हुई साझेदारी

नौसेना सुरक्षा, प्रशिक्षण और तकनीक पर केंद्रित रही भारत-सिंगापुर की रक्षा वार्ता, दोनों देशों ने बढ़ाई रणनीतिक साझेदारी।

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  • रक्षा वार्ता: भारत और सिंगापुर के बीच 17वीं रक्षा नीति वार्ता सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
  • रणनीतिक सहयोग: वार्ता का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग को बढ़ाना था।
  • भविष्य की योजनाएं: दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को और गहरा करने के लिए नई योजनाओं पर चर्चा की।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 06 सितंबर: भारत और सिंगापुर ने अपनी रणनीतिक रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच 17वीं रक्षा नीति वार्ता आयोजित हुई, जिसमें समुद्री सुरक्षा, सैन्य प्रशिक्षण, और रक्षा तकनीक में सहयोग पर गहन चर्चा की गई। यह वार्ता दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और रणनीतिक हितों की समानता को दर्शाती है।

वार्ता का मुख्य एजेंडा

यह वार्ता सिंगापुर के रक्षा मंत्रालय में स्थायी सचिव (रक्षा) श्री चांग किट च्योंग और भारत के रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने के बीच हुई। इस बैठक में दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में अपने चल रहे सहयोग की समीक्षा की और भविष्य के लिए नई पहलों पर चर्चा की। मुख्य रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया:

समुद्री सुरक्षा: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों से निपटने के लिए संयुक्त गश्त और जानकारी साझा करने पर जोर दिया गया।

सैन्य प्रशिक्षण: दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास करती हैं। इस वार्ता में इन अभ्यासों को और अधिक प्रभावी बनाने और नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।

रक्षा तकनीक: भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत, सिंगापुर की रक्षा कंपनियों को भारत में निवेश और उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया गया। दोनों देशों ने भविष्य में रक्षा अनुसंधान और विकास में भी सहयोग करने पर चर्चा की।

क्षेत्रीय स्थिरता में भारत-सिंगापुर की भूमिका

भारत और सिंगापुर दोनों ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह क्षेत्र विश्व व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और यहां की सुरक्षा और स्थिरता वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, भारत और सिंगापुर की रक्षा साझेदारी क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक है। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का पालन किया जाना चाहिए, ताकि सभी देशों को सुरक्षित और स्थिर समुद्री मार्गों का लाभ मिल सके।

भविष्य की संभावनाएं

इस सफल वार्ता के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में भारत और सिंगापुर के बीच रक्षा सहयोग और भी गहरा होगा। सैन्य आदान-प्रदान, तकनीकी सहयोग और समुद्री सुरक्षा में संयुक्त प्रयास दोनों देशों के लिए लाभप्रद होंगे। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी योगदान देगी।

 

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