समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली 4 सितंबर – पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आत्मघोषित संत रामपाल को बड़ी राहत दी है। अदालत ने 2014 के चर्चित हिसार मौतकांड मामले में रामपाल को मिली उम्रकैद की सज़ा पर रोक लगा दी है। यह मामला उनके सतलोक आश्रम में हुई पांच अनुयायियों की मौत से जुड़ा है।
कोर्ट ने क्या कहा ?
जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में मौतों का कारण संदिग्ध है और यह बहस का विषय है कि क्या ये मौतें हत्या (homicidal) थीं या नहीं। कोर्ट ने पाया कि कई गवाहों, जिनमें मृतकों के परिजन भी शामिल हैं, ने अभियोजन पक्ष के दावे का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि मौतें पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले से फैली घबराहट और दम घुटने से हुईं।
दोषसिद्धि की पृष्ठभूमि
रामपाल को 2018 में विशेष अदालत ने हत्या, गैर-कानूनी कैद और आपराधिक साज़िश के आरोपों में दोषी ठहराया था। इसके बाद उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। यह मामला उस समय सामने आया था जब 2014 में पुलिस ने एक अन्य केस में रामपाल को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी। उस दौरान आश्रम में उनके अनुयायियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं और पांच लोगों की मौत हो गई थी।
रामपाल के वकील ने दलील दी कि मौतें भीड़भाड़ और दम घुटने से हुईं। उन्होंने कहा, “कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि मृतकों की मौत के लिए रामपाल सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।”
सरकार का पक्ष
वहीं हरियाणा सरकार ने अदालत को बताया कि रामपाल ने अपने अनुयायियों को, खासकर महिलाओं को, एक कमरे में बंद कर रखा था। सरकार का तर्क था कि दम घुटने से ही अनुयायियों की जान गई।
अदालत का अवलोकन
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि रामपाल की उम्र और जेल में बिताए समय को देखते हुए उन्हें राहत देना उचित है। रामपाल इस समय 74 वर्ष के हैं और लगभग 10 साल 8 महीने जेल में बिता चुके हैं। अदालत ने कहा, “आवेदक की आयु और उसने जो अवधि अब तक सज़ा के रूप में काटी है, उसे देखते हुए यह मामला सज़ा को स्थगित करने योग्य है।”
लगी शर्तें
हालाँकि, कोर्ट ने रामपाल को पूरी तरह स्वतंत्र नहीं छोड़ा है। आदेश में कहा गया है कि रामपाल किसी भी प्रकार की बड़ी सभाओं या भीड़ जुटाने वाले आयोजनों में शामिल नहीं होंगे। अदालत ने यह भी साफ किया कि अगर वे शर्तों का उल्लंघन करते हैं या किसी अपराध के लिए लोगों को उकसाते पाए जाते हैं, तो उनकी जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
निष्कर्ष
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद रामपाल को राहत ज़रूर मिली है, लेकिन उन पर सख्त पाबंदियां भी लगाई गई हैं। यह मामला अब अपील पर विचाराधीन रहेगा और अंतिम निर्णय आने तक रामपाल को अपनी गतिविधियों में संयम बरतना होगा।