एससीओ के बयान में पहलगाम का जिक्र, आतंकवाद पर बदलता रुख

68 दिन बाद आतंकवाद पर भारत की कूटनीतिक जीत

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  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आतंकवाद विरोधी इकाई ने अपने बयान में कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले का जिक्र किया है।
  • इस जिक्र को भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, क्योंकि 68 दिन पहले इसी तरह के प्रस्ताव का चीन और पाकिस्तान ने विरोध किया था।
  • यह घटना आतंकवाद पर भारत के रुख को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिलने का संकेत देती है।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02 सितंबर 2025: भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आतंकवाद विरोधी इकाई, रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) ने हाल ही में अपने एक बयान में कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले का उल्लेख किया है। यह एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि मात्र 68 दिन पहले, इसी तरह के एक प्रस्ताव का चीन और पाकिस्तान ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विरोध किया था, जिसके बाद उसे शामिल नहीं किया गया था।

यह बदलाव वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती हुई साख और आतंकवाद पर उसके कड़े रुख की स्वीकार्यता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल अपने देश के भीतर आतंकवाद के खिलाफ नहीं लड़ रहा, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस खतरे की गंभीरता से अवगत कराने में सफल हो रहा है।

68 दिन पहले क्या हुआ था?

68 दिन पहले, भारत ने श्रीनगर में जी20 के पर्यटन कार्य समूह की बैठक का आयोजन किया था। बैठक के दौरान, भारत ने एक प्रस्ताव रखा जिसमें कश्मीर में हुए आतंकी हमलों का उल्लेख किया जाना था। इस पर चीन और पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, जिसके कारण इसे अंतिम बयान में शामिल नहीं किया जा सका। चीन ने भारत के इस कदम को “क्षेत्रीय संप्रभुता” का मामला बताया था, जबकि पाकिस्तान ने इसे “भारत का एकतरफा राजनीतिक कदम” कहकर खारिज कर दिया था।

अब, एससीओ जैसे एक महत्वपूर्ण संगठन में, जिसमें चीन और पाकिस्तान दोनों सदस्य हैं, पहलगाम का जिक्र होना भारत के लिए एक बड़ी जीत है। यह दिखाता है कि भारत ने कूटनीतिक रूप से दोनों देशों को इस मुद्दे पर अपने साथ लाने में कामयाबी हासिल की है। यह घटना आतंकवाद पर भारत के रुख को एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्रदान करती है।

आतंक के खिलाफ वैश्विक मोर्चा

यह बदलाव इस बात का भी संकेत है कि चीन और पाकिस्तान अब आतंकवाद पर अपने पुराने रुख से हटकर एक अधिक लचीला रुख अपना रहे हैं। यह शायद उन्हें यह एहसास हो गया है कि आतंकवाद किसी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, और इसे केवल राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि आतंकवाद का कोई धर्म या राष्ट्रीयता नहीं होती और इसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुट होकर लड़ना चाहिए। पहलगाम का जिक्र इस बात का प्रमाण है कि भारत की यह नीति अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वीकार की जा रही है। यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चे को और अधिक मजबूत करेगा।

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