- अमेरिकी अपील अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ को अवैध घोषित किया।
- यह फैसला उन टैरिफ पर लागू होगा जो ‘अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम’ (IEEPA) के तहत लगाए गए थे, जबकि स्टील और एल्यूमीनियम पर शुल्क अप्रभावित रहेगा।
- इस फैसले के बाद भारत जैसे देशों को अमेरिकी टैरिफ से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 अगस्त, 2025: अमेरिका की एक अपील अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम’ (IEEPA) के तहत लगाए गए अधिकांश आयात शुल्क को अवैध करार दिया है। इस फैसले को ट्रंप की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि, अदालत ने इन शुल्कों को 14 अक्टूबर तक लागू रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय रहे।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार, शुल्क लगाने की शक्ति केवल कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। अदालत ने कहा कि जब IEEPA कानून बनाया गया था, तो कांग्रेस का यह इरादा नहीं था कि राष्ट्रपति को “शुल्क लगाने के लिए असीमित शक्ति” दी जाए। यह फैसला अमेरिका की छोटी कंपनियों और कुछ राज्यों द्वारा अप्रैल में दायर की गई दो याचिकाओं के बाद आया है, जिन्होंने ट्रंप के कार्यकारी आदेशों को चुनौती दी थी।
भारत को क्या फायदा मिलेगा?
यह फैसला भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 25% जवाबी आयात शुल्क लगाया था। अदालत के इस फैसले के बाद, इन शुल्कों से भारत को राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि यह फैसला सभी शुल्कों पर लागू नहीं होगा।
अदालत का यह निर्णय केवल उन शुल्कों पर लागू होता है जो IEEPA के तहत लगाए गए थे। ‘व्यापार विस्तार अधिनियम 1962 की धारा 232’ के तहत स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाए गए 50% के शुल्क इस कानूनी चुनौती से प्रभावित नहीं होंगे। इसलिए, भारतीय निर्यातकों को स्टील और एल्यूमीनियम के क्षेत्र में तुरंत राहत नहीं मिलेगी, लेकिन अन्य उत्पादों पर लगे शुल्कों के हटने की संभावना है।
अस्थिरता की स्थिति और आगे का रास्ता
अदालत ने भले ही ट्रंप के टैरिफ को अवैध ठहराया है, लेकिन फैसले को लागू करने के लिए 14 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। इसका मतलब है कि इस दौरान ट्रंप प्रशासन के पास सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने का मौका है। यदि सुप्रीम कोर्ट भी यही फैसला बरकरार रखता है, तो अमेरिका की व्यापार नीति में एक बड़ा बदलाव आ सकता है, जिसका असर वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा।
यह फैसला बाइडेन प्रशासन के लिए भी एक चुनौती पेश कर सकता है। हालांकि बाइडेन प्रशासन ने ट्रंप के कुछ टैरिफ को हटा दिया था, लेकिन कई विवादित शुल्क अभी भी लागू हैं। इस फैसले से भविष्य में अमेरिकी व्यापार नीतियों की दिशा तय हो सकती है। भारत जैसे देश जो अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध रखते हैं, इस स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं। यदि टैरिफ हटाए जाते हैं, तो यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ी राहत होगी और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
इस फैसले से यह भी साबित होता है कि अमेरिकी कानूनी प्रणाली व्यापार नीतियों को भी चुनौती दे सकती है, खासकर जब वे संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करती हों। यह वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।