डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर भारत की जवाबी कार्रवाई: 40 देशों पर ध्यान

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  • डोनाल्ड ट्रंप के 50% टैरिफ के जवाब में भारत ने 40 देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए टेक्सटाइल निर्यात बढ़ाने की रणनीति बनाई है।
  • इस पहल में यूके, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, और फ्रांस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं।
  • भारत इन बाजारों में ‘ब्रांड इंडिया’ के तहत टिकाऊ और नवोन्मेषी टेक्सटाइल उत्पादों को बढ़ावा देगा।

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 अगस्त, 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए 50% टैरिफ के जवाब में भारत ने एक बड़ी जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है। इस जवाबी कदम के तहत, भारत ने अपने टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 40 प्रमुख देशों को लक्ष्य बनाया है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस विशेष आउटरीच कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक बाजार में भारतीय टेक्सटाइल की हिस्सेदारी बढ़ाना और अमेरिकी टैरिफ से पड़ने वाले प्रभाव को कम करना है।

टैरिफ युद्ध से भारतीय निर्यात पर असर

ट्रंप प्रशासन के इस कदम ने भारतीय निर्यात के कई प्रमुख क्षेत्रों, जैसे टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते, रसायन और मशीनरी को प्रभावित किया है। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC) के महासचिव, मिथिलेश्वर ठाकुर ने चिंता जताते हुए कहा कि इस अतिरिक्त टैरिफ के कारण बांग्लादेश, वियतनाम और श्रीलंका जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारतीय उद्योगों को 30-31% की लागत हानि हो रही है। इस स्थिति ने भारतीय वस्त्र उद्योग को अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर कर दिया है। उद्योग ने सरकार से तत्काल वित्तीय राहत की मांग की है ताकि इस संकट से निपटा जा सके।

40 देशों पर केंद्रित रणनीति: एक व्यापक दृष्टिकोण

भारत वर्तमान में 220 से अधिक देशों को निर्यात करता है, लेकिन इस नई रणनीति के तहत 40 चुनिंदा बाजारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन बाजारों में यूके, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। इन देशों का सालाना टेक्सटाइल और परिधान आयात 590 अरब डॉलर से अधिक है, जो भारत के लिए अपनी बाजार हिस्सेदारी को मौजूदा 5-6% से बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है।

निर्यात संवर्धन परिषदें होंगी मुख्य आधार

इस पहल में निर्यात संवर्धन परिषदों (EPC) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वे बाजार का गहन विश्लेषण करेंगी, उच्च मांग वाले उत्पादों की पहचान करेंगी और सूरत, पानीपत, तिरुपुर और भदोही जैसे उत्पादन समूहों को अंतरराष्ट्रीय अवसरों से जोड़ेंगी। ईपीसी अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों और खरीदार-विक्रेता बैठकों में भारत की उपस्थिति को बढ़ाएंगी, और एक एकीकृत ‘ब्रांड इंडिया’ पहचान के तहत क्षेत्र-विशिष्ट अभियान भी चलाएंगी। इसके अलावा, वे निर्यातकों को मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का लाभ उठाने और वैश्विक मानकों को पूरा करने में भी मार्गदर्शन करेंगी।

नुकसान की भरपाई की संभावनाएं

टेक्सटाइल उद्योग अब ब्रिटेन और EFTA देशों के साथ व्यापार समझौतों के माध्यम से नुकसान की भरपाई की संभावनाओं की तलाश कर रहा है। वाणिज्य मंत्रालय इस सप्ताह रसायन और आभूषण जैसे प्रभावित क्षेत्रों के निर्यातकों के साथ बैठक करेगा ताकि टैरिफ के झटके को कम करने के उपाय खोजे जा सकें। अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित निर्यात संवर्धन मिशन (बजट 2025-26) पर काम चल रहा है, जो बाजार के विविधीकरण के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति के रूप में काम करेगा। यह मिशन भारत को एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखता है, जो गुणवत्तापूर्ण, टिकाऊ और नवोन्मेषी उत्पाद प्रदान करता है।

टैरिफ युद्ध का गहरा असर: विशेषज्ञों की चेतावनी

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह टैरिफ युद्ध दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाएगा। द एशिया ग्रुप के वरिष्ठ सलाहकार मार्क लिनस्कॉट ने इसे “विन-विन” से “लूज-लूज” की स्थिति में बदलाव बताया है। 2024-25 में भारत का टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र 179 अरब डॉलर का अनुमानित है, जिसमें 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है। वैश्विक स्तर पर, भारत 4.1% हिस्सेदारी के साथ छठा सबसे बड़ा निर्यातक है, और यह नई रणनीति विकास की व्यापक संभावनाएं प्रदान करती है।

 

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