पूनम शर्मा
भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा कुख्यात मछली गैंग की करोड़ों की कोठी पर बुलडोजर चलवाने की कार्रवाई केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए संदेश है कि अपराध चाहे लव जिहाद की आड़ में हो या ड्रग माफिया के नेटवर्क से जुड़ा हो, कानून के शिकंजे से कोई नहीं बच पाएगा।
यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर देखा गया है कि अपराधी गैंग केवल पुलिसिया कार्रवाई से नहीं डरते। वे अवैध संपत्तियों, राजनैतिक संरक्षण और सामाजिक दबाव के दम पर फिर से सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में संपत्ति जब्ती और बुलडोजर कार्रवाई ही वह तरीका है जिससे अपराधी गिरोहों की रीढ़ तोड़ी जा सकती है।
उदाहरण जो पूरे भारत के लिए सबक हैं
1. उत्तर प्रदेश – माफिया राज का अंत
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफिया डॉनों की अरबों की अवैध संपत्तियों को ध्वस्त कर यह साबित किया कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो दशकों से पाल पोस कर बैठे अपराधी नेटवर्क भी ध्वस्त हो सकते हैं। नतीजा यह हुआ कि यूपी में माफियाओं का खौफ खत्म होने लगा और आम जनता को राहत मिली।
2. पंजाब – ड्रग माफिया पर कार्रवाई की जरूरत
पंजाब लंबे समय से ड्रग तस्करी की समस्या से जूझ रहा है। करोड़ों युवाओं का भविष्य नशे की दलदल में फंसा हुआ है। यदि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसी बुलडोजर कार्रवाई यहां भी लागू हो, तो ड्रग माफिया की हिम्मत टूटेगी और समाज को नशामुक्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा। केवल पुलिस पकड़ से आगे बढ़कर उनकी अवैध कोठियों और फार्महाउस पर बुलडोजर चलाना ही असली समाधान है।
3. केरल और कर्नाटक – लव जिहाद और हवाला नेटवर्क
इन राज्यों में कई बार लव जिहाद के मामलों से सामाजिक तनाव बढ़ा है। साथ ही हवाला और अंडरवर्ल्ड से जुड़ी आर्थिक गतिविधियां भी सक्रिय रहती हैं। यदि वहां की सरकारें अवैध तरीकों से अर्जित संपत्ति जब्त करने और गिरोहों की आर्थिक कमर तोड़ने पर ध्यान दें, तो इस जड़ को काटा जा सकता है।
4. उत्तर-पूर्व – तस्करी और आतंकी फंडिंग
असम, मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्यों में सोना, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी बड़ी चुनौती है। यहां बुलडोजर मॉडल अपनाने से न केवल तस्करों पर रोक लगेगी, बल्कि आतंकी संगठनों की फंडिंग भी रुक जाएगी।
5. महाराष्ट्र और गुजरात – अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट
मुंबई और अहमदाबाद जैसे शहरों में अंडरवर्ल्ड सिंडिकेट का पुराना इतिहास है। इनसे जुड़े बिल्डरों, हवाला कारोबारियों और माफिया सरगनाओं की संपत्तियां ही उनकी ताकत हैं। यदि यहां भी बुलडोजर एक्शन तेज हो, तो अपराध की जड़ों को खत्म किया जा सकता है।
क्यों जरूरी है यह मॉडल?
कानून का डर बढ़ाना – जब अपराधी अपनी मेहनत से नहीं बल्कि अवैध रास्तों से बनाई संपत्ति को पलभर में ध्वस्त होता देखता है, तो उसके भीतर कानून का डर पैदा होता है।
सामाजिक संदेश – जनता को यह विश्वास मिलता है कि सरकार अपराधियों के खिलाफ खड़ी है और न्याय त्वरित है।
राजनैतिक संरक्षण का अंत – बुलडोजर कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि चाहे किसी का भी संरक्षण हो, अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।
युवा पीढ़ी की सुरक्षा – लव जिहाद और ड्रग माफिया का सबसे ज्यादा असर युवाओं पर होता है। इस पर रोक लगाकर भविष्य पीढ़ी को बचाया जा सकता है।
आलोचना और जवाब
कुछ लोग इस तरह की कार्रवाई को “न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर” या “राजनीतिक स्टंट” बताते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि जब अपराधी सालों तक कानूनी पेचिदगियों का फायदा उठाकर जेल से बाहर रहते हैं और जनता त्रस्त होती है, तो कठोर प्रशासनिक कदम उठाना ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।
साथ ही यह भी जरूरी है कि ऐसी कार्रवाई पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद हो, ताकि यह केवल दिखावा न लगे, बल्कि अपराधियों को सचमुच सबक मिले।
निष्कर्ष
भोपाल में मछली गैंग की कोठी पर चला बुलडोजर केवल एक राज्य की घटना नहीं है, बल्कि पूरे भारत के लिए एक आदर्श है। उत्तरप्रदेश ने इसका परिणाम दिखा दिया है, अब समय है कि पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और उत्तर-पूर्वी राज्य भी इस मॉडल को अपनाएं।
यदि हर राज्य अपनी राजधानी और जिलों में यह संदेश दे कि “अपराधियों को केवल जेल नहीं, बल्कि उनकी अवैध संपत्ति पर भी बुलडोजर चलेगा”, तो देश से माफिया, लव जिहाद और ड्रग्स जैसी बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंका जा सकता है।