भिवानी मनीषा हत्याकांड: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नया मोड़, जांच पर उठे सवाल
शिक्षिका मनीषा की मौत के मामले में पुलिस की जांच आत्महत्या की ओर, जबकि परिवार हत्या का आरोप लगा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को उलझा दिया है
- भिवानी की प्ले स्कूल शिक्षिका मनीषा की मौत का मामला एक नया मोड़ ले चुका है, जिसमें रोहतक पीजीआई की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्या के दावों को खारिज कर दिया है।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीषा के शरीर में जहर पाया गया है, जबकि दुष्कर्म या शारीरिक हिंसा के कोई सबूत नहीं मिले हैं, जो शुरूआती दावों के बिल्कुल उलट है।
- इस नए खुलासे के बाद भी, मनीषा का परिवार और प्रदर्शनकारी संगठन पुलिस के दावों पर सवाल उठा रहे हैं और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
समग्र समाचार सेवा
भिवानी , 19 अगस्त, 2025: हरियाणा के भिवानी जिले में प्ले स्कूल की शिक्षिका मनीषा की रहस्यमयी मौत ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। 11 अगस्त को लापता हुई मनीषा का शव 13 अगस्त को एक खेत में मिला था। शुरू में, यह दावा किया गया था कि मनीषा का गला रेता गया था, और उसके साथ दुष्कर्म भी हुआ था। इन दावों के बाद, प्रदेश भर में भारी आक्रोश फैल गया। लोगों ने सड़कों को जाम कर दिया, विरोध प्रदर्शन किए और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की। हरियाणा सरकार ने बिगड़ते हालात को देखते हुए भिवानी और चरखी दादरी में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को भी बंद कर दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बदल दी पूरी कहानी
मामले में सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब रोहतक पीजीआई के तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट ने उन सभी शुरुआती दावों को खारिज कर दिया, जिनमें रेप, गला काटने या शरीर पर तेजाब डालने की बात कही गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, मनीषा की मौत जहर खाने से हुई थी। उसके शरीर पर किसी भी तरह के संघर्ष के निशान नहीं मिले। रिपोर्ट में बताया गया है कि उसकी मौत के बाद उसके शरीर को जंगली जानवरों ने नोचा था, जिससे शरीर पर घाव हुए थे। पुलिस का दावा है कि मनीषा के बैग से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसकी हैंडराइटिंग उसकी लिखावट से मेल खाती है।
पुलिस की थ्योरी पर उठे सात बड़े सवाल
हालांकि, पुलिस और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इन दावों के बावजूद, मनीषा के परिवार और प्रदर्शनकारी संगठन संतुष्ट नहीं हैं। वे अभी भी इसे हत्या का मामला मान रहे हैं और पुलिस पर सच्चाई छिपाने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने पुलिस की थ्योरी पर कई सवाल उठाए हैं, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं:
सुसाइड नोट: इतना महत्वपूर्ण सबूत 5 दिन तक क्यों छुपाया गया? पुलिस ने शव मिलने के पांच दिन बाद सुसाइड नोट की बात कही। यदि यह इतना महत्वपूर्ण सबूत था, तो इसे तुरंत सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?
जंगली जानवर: यदि शव को जंगली जानवरों ने नोचा, तो वे शव के पास से सुसाइड नोट और मनीषा का आधार कार्ड क्यों नहीं ले गए?
शरीर के अंग: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ अंगों के गायब होने की बात सामने आई है। क्या जंगली जानवर इस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं, या यह किसी अन्य घटना का संकेत है?
पहचान में देरी: यदि शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत नहीं था, तो पुलिस को शव की पहचान करने में इतना समय क्यों लगा?
बदले गए अधिकारी: जब मामला आत्महत्या का है, तो कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस अधीक्षक का तबादला क्यों किया गया और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को क्यों निलंबित किया गया?
सीसीटीवी फुटेज: पुलिस के अनुसार, मनीषा ने खुद कीटनाशक खरीदा था, लेकिन वह फुटेज अभी तक सार्वजनिक क्यों नहीं की गई?
हत्या की आशंका: परिवार के अनुसार, मनीषा आत्महत्या नहीं कर सकती। परिवार को अभी भी यह संदेह है कि उसकी हत्या की गई है और पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
न्याय की मांग: सीबीआई जांच की गुहार
इन सवालों के जवाब न मिलने से मामला और भी उलझ गया है। परिवार और प्रदर्शनकारी संगठन अब पुलिस जांच पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार से मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। यह मामला अब सिर्फ एक आपराधिक जांच नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक बहस का मुद्दा बन गया है, जहां लोगों का गुस्सा और असंतोष खुलकर सामने आ रहा है।