MATSYA-6000: भारत की डीप ओशन मिशन का सुनहरा क्षण

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पूनम शर्मा
भारत की Deep Ocean Mission (डीप ओशन मिशन) एक ऐतिहासिक सफलता की ओर अग्रसर है। हाल ही में, मात्स्य-6000 उपग्रहयान के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिकों ने महासागर की दुनिया में गहराई से पंख फैलाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं।

1. तकनीकी प्रगति का विस्तार

मात्स्य-6000 भारत का पहला स्वदेशी मानव-चलित गहरे समुद्र में उतरने वाला सबमर्सिबल है जो लगभग 6,000 मीटर की गहराई तक तीन वैज्ञानिकों को ले जा सकता है। इस उपग्रहयान का उपयोग गहरे समुद्र के खनिज संसाधनों, जैव विविधता और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन के लिए किया जाएगा।

ISRO ने इस मिशन के तहत मेटल टाइटेनियम से बने मैन-पोड (पर्सनल स्फीयर) का वेल्डिंग कार्य 700 से अधिक ट्रायल्स के बाद सफलतापूर्वक पूरा किया है, जो इसकी तकनीकी जटिलता और तैयारियों का प्रमाण है।

NIOT (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशन टेक्नॉलजी) ने “अंडरवाटर टेलीफोन” यानी हाइड्रोफोन का परीक्षण किया है, जिससे सतह और उपग्रहयान के बीच 5.5 किमी तक स्पष्ट संवाद किया जा सकता है। यह तकनीकी सुरक्षा और संचार की दृष्टि से महान उपलब्धि है।

2. खनिजों और प्राकृतिक संसाधनों की खोज

भारतीय महासागरीय इलाके, विशेषकर केंद्रीय भारतीय महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin), में पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स (Polymetallic Nodules) जैसे खनिजों का प्रचुर भंडार पाया गया है। इनमें मैंगनीज, निकल, कॉपर, कोबाल्ट आदि शामिल हैं—जो इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और हरित ऊर्जा उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

DESA की रिपोर्ट बताती है कि लगभग 380 मिलियन टन ऐसे नोड्यूल्स मौजूद हो सकते हैं, जिनमें से कुछ ही प्रतिशत की खनन क्षमता भारत की लंबी अवधि की ऊर्जा और औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है।

3. पारिस्थितिकी और जलवायु शोध की दिशा

इस मिशन का लक्ष्य सिर्फ खनिज निष्कर्षण नहीं है। यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, नवजात समुद्री जीव, और जलवायु परिवर्तन पर महासागरों की भूमिका पर अध्ययन को भी बढ़ावा देने की दिशा में अग्रसर है।,साथ ही, महासागरों की संरक्षा और रख-रखाव में “Blue Economy” की अवधारणा को सुदृढ़ करने के लिए यह मिशन केंद्र बिंदु बना है।

4. भारत का वैश्विक वैज्ञानिक परिदृश्य में उत्थान

यह मिशन भारत को दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है जिन्‍होंने खुद के मानव-चालित गहरे समुद्री यान बनाकर उसे विश्व स्तर पर आजमाया हो। भारत ऐसा छठा देश बनेगा। यह तकनीकी प्रगति, अंतरिक्ष एजेंसियों और समुद्री अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग—विशेषकर ISRO और NIOT का साझा प्रयास—भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को ऊँचाई पर ले जाता है।

निष्कर्ष: भारत का गहरा समुद्री विजन

MATSYA-6000, भारत की गहरे महासागरीय खोज का सबसे बड़ा प्रतीक बन चुका है। यह मिशन वैज्ञानिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से तीनों क्षेत्रों में भारत को नया मुकाम प्रदान कर रहा है। तकनीकी उन्नति के नये आयाम, खनिज संपदा और आर्थिक आत्मनिर्भरता की संभावनाएँ,पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु शोध में वैश्विक योगदान।

यह मिशन भारत की Blue Economy, स्वदेशी तकनीकी विकास, और सतत समुद्री प्रबंधन की दिशा में इतिहास रच रहा है।

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