‘राहुल से हलफनामा क्यों मांगा, अनुराग ठाकुर से नहीं?’: कांग्रेस का EC पर हमला
कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर 'दोहरा मापदंड' अपनाने का आरोप लगाया, पूछा- जब राहुल गांधी को नोटिस भेजा गया, तो अनुराग ठाकुर पर कार्रवाई क्यों नहीं?
- कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया है, और इसे ‘वोट चोरी’ की साजिश का हिस्सा बताया।
- पार्टी ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग ने ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर राहुल गांधी से हलफनामा मांगा, लेकिन केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से नहीं।
- अनुराग ठाकुर ने भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए कहा था कि कई लोकसभा सीटों पर फर्जी मतदाताओं के जरिए धांधली हुई है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अगस्त, 2025: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए जाने के बाद, राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ने राहुल गांधी से सात दिनों के भीतर अपने आरोपों का हलफनामा पेश करने को कहा, वरना उनके बयानों को ‘आधारहीन और अमान्य’ माना जाएगा। इस पर, कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर पलटवार करते हुए सीधा सवाल किया है कि क्या यह ‘डबल स्टैंडर्ड’ नहीं है? कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जिन्होंने खुद भी इसी तरह के आरोप लगाए थे।
राहुल गांधी के आरोप और EC का अल्टीमेटम
दरअसल, राहुल गांधी ‘वोट अधिकार यात्रा’ के दौरान लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि बिहार और अन्य राज्यों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है, ताकि ‘वोटों की चोरी’ हो सके। उन्होंने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के दौरान एक करोड़ नए मतदाताओं के ‘जादुई’ रूप से जुड़ने का आरोप भी लगाया था। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए राहुल गांधी को हलफनामा दाखिल करने का अल्टीमेटम दिया। हालांकि, कांग्रेस इस पर झुकने को तैयार नहीं है और अब वह अनुराग ठाकुर के पुराने बयानों को हथियार बना रही है।
अनुराग ठाकुर का ‘फर्जी मतदाता’ वाला बयान
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जब राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाए, तो चुनाव आयोग ने तुरंत उन्हें नोटिस भेज दिया। लेकिन, जब बीजेपी के नेता अनुराग ठाकुर ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान “देश के गद्दारों को” का नारा लगाया था, तब चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा, अनुराग ठाकुर ने भी हाल ही में आरोप लगाया था कि 6 लोकसभा सीटों पर फर्जी मतदाताओं की मदद से चुनाव जीता गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास इन गड़बड़ियों का डेटा है। कांग्रेस का सवाल है कि यदि ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाना गलत है, तो चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर से सबूत क्यों नहीं मांगे?
डबल स्टैंडर्ड पर उठते सवाल
कांग्रेस का मानना है कि चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संस्था के रूप में अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। एक तरफ वह विपक्ष के नेता पर तुरंत कार्रवाई करता है, वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी के मंत्रियों के बयानों को नजरअंदाज कर देता है। कांग्रेस ने कहा कि अगर चुनाव आयोग वाकई निष्पक्ष है, तो उसे अनुराग ठाकुर और अन्य बीजेपी नेताओं से भी हलफनामा मांगना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि उन्हें फर्जी मतदाताओं का डेटा कहां से मिला। यह मुद्दा सिर्फ आरोपों-प्रत्यारोपों का नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र में संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका पर भी सवाल उठाता है।
EC और विपक्ष की लड़ाई जारी
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच की तनातनी और बढ़ गई है। राहुल गांधी ने पहले ही कहा है कि वह चुनाव आयोग से नहीं डरते और वे ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को हर नागरिक के सामने लाएंगे। वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस पर हार का ठीकरा संवैधानिक संस्थाओं पर फोड़ने का आरोप लगाया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले को कैसे सुलझाता है और क्या वह विपक्ष के लगाए गए आरोपों पर कोई स्पष्टीकरण देता है या नहीं।