चुनाव आयोग की सफाई: ‘फर्जी मतदाता’ कहना गरीबों का अपमान
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने पर दी सफाई, 'फर्जी वोटर' कहने को बताया अनुचित।
- मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि प्रवासन के कारण लोगों के पास कई मतदाता पहचान पत्र हो सकते हैं, जिसे सुधारा जा रहा है।
- उन्होंने कहा कि ‘फर्जी मतदाता’ कहना उन गरीब लोगों का अपमान है, जिनके पास घर नहीं है या जिनके घर का कोई नंबर नहीं है।
- चुनाव आयोग ने एआई और डीपफेक वीडियो को भी अपनी निष्पक्षता के लिए एक बड़ी चुनौती बताया।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 18 अगस्त, 2025: भारत में तेजी से हो रहे आंतरिक प्रवासन (internal migration) के कारण मतदाता सूची में कई विसंगतियाँ सामने आई हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने इन समस्याओं को स्वीकार करते हुए कहा कि अक्सर लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के बाद अपना नाम पुरानी मतदाता सूची से नहीं हटवाते, जिससे उनके पास दो या उससे अधिक वोटर आईडी कार्ड हो जाते हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे लोग मतदान सिर्फ एक ही जगह पर करते हैं। उन्होंने बताया कि ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) जैसे अभियानों से इन गलतियों को सुधारा जा रहा है और अब तक ऐसे लगभग तीन लाख मामलों को ठीक किया जा चुका है। सीईसी ने कहा कि 2003 से पहले तकनीकी सुविधाओं की कमी के कारण यह समस्या अधिक थी, लेकिन अब डिजिटल सिस्टम की मदद से इसे ठीक करना आसान हो गया है।
‘मकान संख्या शून्य’ का असली मतलब
चुनाव आयोग पर अक्सर यह आरोप लगता है कि मतदाता सूची में ‘मकान संख्या शून्य’ वाले लोगों को जोड़ा जाता है, जो फर्जी मतदाता हो सकते हैं। इस आरोप पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह एक बड़ी गलतफहमी है। उन्होंने समझाया कि ‘मकान संख्या शून्य’ उन लोगों को दिया जाता है जिनके पास रहने के लिए स्थायी घर नहीं है, जैसे कि सड़क किनारे या पुल के नीचे रहने वाले लोग। ऐसे में, जब वे अपना पता देते हैं तो उन्हें एक काल्पनिक नंबर दिया जाता है, जिसे कंप्यूटर में ‘शून्य’ के रूप में दिखाया जाता है। सीईसी ने कहा कि इन मतदाताओं को ‘फर्जी’ कहना गरीबों का मजाक उड़ाने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि कई अनधिकृत कॉलोनियों में भी घरों के नंबर नहीं होते, और ऐसे लोगों को भी इसी तरह दर्ज किया जाता है।
फर्जी मतदान साबित करने के लिए प्रमाण आवश्यक
‘फर्जी मतदाताओं’ के आरोपों पर सीईसी ने कहा कि यह एक बड़ा अपराध है और अगर कोई इस तरह का दावा करता है, तो उसे इसका प्रमाण देना होगा। उन्होंने कहा, “भले ही किसी व्यक्ति के दो स्थानों पर वोट हों, वह केवल एक ही स्थान पर मतदान करने जाता है। दो स्थानों पर मतदान करना अपराध है और अगर कोई दोहरे मतदान का दावा करता है, तो प्रमाण आवश्यक है। प्रमाण मांगा गया था, लेकिन दिया नहीं गया।” यह बयान विपक्षी दलों द्वारा लगातार लगाए जा रहे ‘वोट चोरी’ के आरोपों का सीधा जवाब था।
AI और डीपफेक: चुनाव आयोग के लिए नई चुनौती
ज्ञानेश कुमार ने यह भी स्वीकार किया कि आज के समय में एआई (AI) और डीपफेक (Deepfake) वीडियो चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। उन्होंने हाल ही में एक एक्स (X) हैंडल द्वारा साझा किए गए एआई निर्मित वीडियो का उदाहरण दिया, जो सच्चाई से बहुत दूर था। सीईसी ने कहा कि चुनाव आयोग ऐसी चुनौतियों से निपटने की पूरी कोशिश करेगा, लेकिन वह केवल कानून के दायरे में ही काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि इन नई तकनीकों का गलत इस्तेमाल चुनाव की शुचिता को प्रभावित कर सकता है, और आयोग इसे गंभीरता से ले रहा है।