चुनाव आयोग बनाम विपक्ष: ‘वोट चोरी’ पर अब कांग्रेस का पलटवार
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कांग्रेस का पलटवार, कहा- 'आयोग ने फिर झूठ बोला', जानिए पूरे विवाद की जड़ क्या है।
- चुनाव आयोग के आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि आयोग ने फिर से झूठ बोला है।
- कांग्रेस ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर अपनी शिकायतों को दोहराया और आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
- कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “चोरी करना बंद कीजिए, हम ‘वोट चोरी’ कहना बंद कर देंगे।”
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17 अगस्त, 2025: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही भारतीय चुनाव आयोग (ECI) और विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘वोट चोरी’ और मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों को खारिज कर दिया था। इसके तुरंत बाद, कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो जारी कर चुनाव आयोग पर फिर से झूठ बोलने का आरोप लगाया। कांग्रेस का यह पलटवार दर्शाता है कि यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है।
कांग्रेस ने क्यों कहा ‘झूठ’?
कांग्रेस ने चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए कुछ बयानों पर आपत्ति जताई है। चुनाव आयोग ने कहा था कि सभी राजनीतिक दल हमारे लिए समान हैं और कोई पक्षपात नहीं होता। इस पर कांग्रेस ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के बयान के बाद राहुल गांधी का पुराना वीडियो चलता है। इसमें राहुल गांधी कह रहे हैं कि जब बीजेपी के लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं तो उनसे कोई हलफनामा नहीं मांगा जाता, लेकिन उनसे सबूत और हलफनामा मांगा गया। कांग्रेस ने इस विरोधाभास को ‘झूठ’ करार दिया।
‘वोट चोरी’ पर कड़ा जवाब
चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्द का इस्तेमाल संविधान का अपमान है। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “आप कौन होते हैं यह कहने वाले? चोरी करना बंद कर दीजिए, हम ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का उपयोग बंद कर देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर मतदाता सूची में कोई गड़बड़ी नहीं है, तो चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से माफी मांगने के लिए क्यों कहा? यह सब दर्शाता है कि आयोग अपने ही बयानों में उलझ रहा है।
मतदाता सूची और निजता का मुद्दा
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की डिजिटल कॉपी को साझा न करने के पीछे ‘निजता’ का हवाला दिया था। इस पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “अगर सीसीटीवी फुटेज से निजता भंग होती है, तो चुनाव आयोग 45 दिन तक का समय कैसे दे सकता है? अगर निजता भंग होती है, तो ऐसी व्यवस्था बनाते ही क्यों हैं?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब चुनाव आयोग ने कहा था कि मतदाता सूची को सभी दलों के प्रतिनिधियों के सहयोग से बनाया गया है, तो फिर गड़बड़ी की शिकायत आने पर उसे स्वीकार क्यों नहीं किया गया?
विवाद की जड़: बिहार में मतदाता पुनरीक्षण
इस पूरे विवाद की जड़ बिहार में चल रहा मतदाता सूची का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) अभियान है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस अभियान के तहत जानबूझकर लाखों लोगों के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, खासकर उन लोगों के जो उनके मतदाता माने जाते हैं। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि यह एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसमें सभी दलों के प्रतिनिधियों की भागीदारी है। हालांकि, कांग्रेस और राजद ने अपनी ‘वोट अधिकार यात्रा’ के माध्यम से इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है।