समग्र समाचार सेवा
केरल 17,अगस्त – केरल की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। CPI(M) के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने आर्चबिशप मार जोसेफ पाम्पलानी को “अवसरवादी” करार देते हुए उन पर भाजपा नेताओं की प्रशंसा करने का आरोप लगाया।
गोविंदन ने सोमवार को तालीपरम्बा में एक एनजीओ यूनियन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पाम्पलानी बार-बार अपनी राजनीतिक स्थिति बदलते रहते हैं।
उन्होंने कहा—
“जब छत्तीसगढ़ में ननों को गिरफ्तार किया गया था तो पाम्पलानी चकित थे। मैं उनका नाम जानबूझकर ले रहा हूं क्योंकि वे बेहद अवसरवादी हैं। जब ननों को ज़मानत मिली तो उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह सहित नेताओं की तारीफ़ की। पादरी तो केक लेकर आरएसएस दफ़्तर तक पहुंच गए। लेकिन जैसे ही वे वहां से निकले, उन्हें खबर मिली कि ओडिशा में सिर्फ़ नन ही नहीं, बल्कि पादरी भी हमले का शिकार हुए।”
गोविंदन ने तंज कसा कि, “ऐसे मूड स्विंग्स के साथ न तो ईसाई बचेंगे, न मुसलमान और न ही कम्युनिस्ट।”
चर्च का पलटवार
थालसेरी आर्चडायसिस ने गोविंदन की टिप्पणियों को “अपमानजनक” बताते हुए कड़ी निंदा की। देर रात जारी बयान में कहा गया कि यह सोचना कि बिशप केवल CPI(M) मुख्यालय ए.के.जी. सेंटर से अनुमति लेकर ही बोल सकते हैं, असल में “छुपा हुआ फासीवादी मानसिकता” है।
बयान में कहा गया—
“केरलवासी इस बात के गवाह हैं कि गोविंदन शायद ही कभी अपने बयानों पर एक हफ़्ते से ज़्यादा टिके हों। कैथोलिक बिशप केवल ए.के.जी. सेंटर से मंजूरी लेकर बयान दें—यह सोचना फासीवाद का एक छिपा हुआ रूप है।”
आर्चडायसिस ने यह भी साफ़ किया कि छत्तीसगढ़ नन प्रकरण पर आर्चबिशप ने अपना रुख़ नहीं बदला है और उन्होंने लगातार केंद्र सरकार व संघ परिवार की “असंवैधानिक” कार्रवाइयों का विरोध किया है।
कुल मिलाकर, CPI(M) और चर्च के बीच यह जुबानी जंग केरल की राजनीति को एक बार फिर गरमा रही है।