दिल्ली-NCR वालों के लिए राहत: पुराने वाहनों पर नहीं लगेगा बैन
कोर्ट ने कहा- 'पहले कारें 40-50 साल चलती थीं', प्रदूषण के आधार पर होगी जांच, उम्र पर नहीं।
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश पर रोक लगा दी है।
- यह फैसला दिल्ली सरकार की उस याचिका पर आया है, जिसमें 2018 के प्रतिबंध की समीक्षा की मांग की गई थी।
- कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई तक इन वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी, जो लाखों लोगों के लिए एक बड़ी राहत है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 अगस्त, 2025 – दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक इस मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक इन वाहनों पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह फैसला लाखों वाहन मालिकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जो लंबे समय से अपनी गाड़ियों को जब्त होने के डर से परेशान थे।
क्यों आया यह फैसला?
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर साल 2018 के उस आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया था, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि यह प्रतिबंध वैज्ञानिक आधार पर नहीं है। सरकार का कहना था कि गाड़ियों की उम्र के बजाय उनके प्रदूषण स्तर की जांच होनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में तर्क दिया कि एक गाड़ी जो 10 साल में केवल 2000 किलोमीटर चली हो और एक गाड़ी जो 1 लाख किलोमीटर चल चुकी हो, दोनों को एक ही तरह से बैन करना उचित नहीं है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का मतलब?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई तक 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ उनकी गाड़ियों की उम्र के आधार पर कोई जबरन या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर आपके पास 10 साल पुरानी डीजल या 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी है और उसका प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) और फिटनेस सर्टिफिकेट वैध है, तो उसे सड़क पर चलने से नहीं रोका जाएगा। कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
लाखों लोगों पर क्या होगा असर?
यह फैसला दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इससे मध्यम और निम्न-आय वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे थे, जिनके पास पुराने वाहन हैं और वे आर्थिक कारणों से नए वाहन नहीं खरीद सकते थे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, वे अब अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल बिना किसी डर के कर सकेंगे। यह फैसला वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक नया रास्ता खोलता है, जहां फोकस वाहन की उम्र की बजाय उसके वास्तविक उत्सर्जन मानकों पर होगा। इससे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती और कम प्रदूषण वाले पुराने वाहनों को छूट मिल सकेगी, जो एक संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण है।