वोस्ट्रो :डॉलर निर्भरता कम करने की दिशा में RBI का अहम फैसला

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

पूनम शर्मा
बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत ने विशेष रुपये वोस्ट्रो खाते (SRVA) नियमों में छूट देकर डॉलर निर्भरता कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह बदलाव न केवल अमेरिकी टैरिफ झटकों से बचाव करेगा, बल्कि रुपये को वैश्विक मुद्रा के रूप में मजबूती भी देगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 5 अगस्त 2025 को एक चुपचाप लेकिन निर्णायक निर्णय लेते हुए विदेशी बैंकिंग संस्थानों के लिए SRVA खोलने में पहले की अनुमोदन प्रक्रिया समाप्त कर दी है।

वोस्ट्रो खाते (SRVA) नियमों में छूट

RBI के इस फैसले के तहत अब अधिकृत डीलर (AD) बैंक बिना केंद्र बैंक की मंजूरी के विदेशी करेस्पोंडेंट बैंकों के लिए SRVA खोल सकेंगे। यह प्रक्रिया में सरलता लाकर रुपये आधारित व्यापार निपटान को तेजी से अपनाने में मदद करेगी। SRVA वह खाता होता है, जो विदेशी बैंक भारतीय बैंक के पास रुपये में रखता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार डॉलर या यूरो के बजाय सीधे भारतीय रुपये में निपटाया जा सकता है। जुलाई 2022 में लागू इस व्यवस्था से व्यापारिक लेनदेन में अमेरिकी नियंत्रित SWIFT जैसी प्रणालियों की आवश्यकता नहीं पड़ती।

बढ़ते अमेरिकी टैरिफ तनाव और रुपये पर दबाव

इस बदलाव की पृष्ठभूमि में हाल ही में ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने का दबाव है, जो अगर भारत रूस से छूट के साथ कच्चे तेल की खरीद जारी रखता है तो और भी बढ़ सकता है। इस टैरिफ से खासकर छोटे और मध्यम निर्यातकों पर दबाव बढ़ेगा और रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में RBI ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये की अस्थिरता को कम करने के प्रयास तेज किए हैं। विशेष रूप से नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार में RBI की सक्रियता और निर्यातकों को सरकारी क्रेडिट गारंटी योजनाओं के तहत सहायता, रुपये के समर्थन के लिए अहम हैं।

दीर्घकालीन आर्थिक स्वायत्तता की दिशा में कदम

SRVA नियमों में यह सरलता RBI की उन रणनीतियों को पूरा करती है, जो डॉलर पर निर्भरता कम कर भारत की वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करने पर केंद्रित हैं। इससे भारत अमेरिकी मौद्रिक नीतियों और मुद्रा उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होगा। साथ ही यह भारतीय रुपये को वैश्विक व्यापार में एक प्रमुख मुद्रा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में क्षेत्रीय रिजर्व मुद्रा के रूप में भी उभर सकता है।

वैश्विक साझेदारी और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मिलेगा बल

नए नियम विदेशी साझेदारों के लिए बैंकिंग प्रक्रिया को महीनों से घटाकर केवल हफ्तों का कर देंगे, जिससे व्यापार साझेदारियां तेजी से बढ़ेंगी। यह पहल विशेष रूप से उन विकासशील देशों के लिए सहायक है जो डॉलर आधारित व्यापार से हटकर स्थानीय मुद्राओं के उपयोग की तलाश में हैं। मध्य 2023 तक भारत के बैंकों ने 22 देशों के 92 SRVA खोले हैं, जिनमें एशिया, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप के देश शामिल हैं। यह बदलाव इस संख्या को और बढ़ाने में सहायक होगा।

भारत का बहु-मुद्रा विश्व के लिए तैयार होना

RBI का यह निर्णय भारत की व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें व्यापार प्रवाह से डॉलर निर्भरता को कम करना, मुद्रा की मजबूती बढ़ाना और रणनीतिक स्थिति सुदृढ़ करना शामिल है। रुपये को वैश्विक वाणिज्य में अधिक गहराई से शामिल कर भारत न केवल बाहरी आर्थिक झटकों से सुरक्षित रहेगा, बल्कि बहु-मुद्रा विश्व के लिए भी खुद को तैयार करेगा। यह निर्णय हालांकि मौजूदा समय में सूक्ष्म है, पर आने वाले समय में भारत के आर्थिक स्वतंत्रता के परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकता है।

निष्कर्ष:

RBI द्वारा 5 अगस्त 2025 को लागू किए गए SRVA नियमों में यह बदलाव भारत के आर्थिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक व्यापार में रुपये की भूमिका को नई ऊँचाई देने वाला एक निर्णायक मोड़ है। अमेरिकी टैरिफों और वैश्विक मुद्रा परिवर्तनों के बीच यह एक रणनीतिक पहल है जो भारत को आर्थिक झटकों से बचाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये को स्थापित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.