CM मोहन यादव के ऑफिस में 19 महीनों में 19 IAS अधिकारियों के तबादले
मुख्यमंत्री के कार्यालय में लगातार बदलाव से प्रशासनिक स्थिरता पर सवाल, क्या प्रदर्शन या रणनीति है कारण?
- मुख्यमंत्री मोहन यादव के 19 महीने के कार्यकाल में उनके कार्यालय में 19 आईएएस अधिकारियों का तबादला हो चुका है।
- लगातार हो रहे इन बदलावों से ‘टीम मोहन’ पर सवाल उठ रहे हैं और प्रशासनिक स्थिरता पर चिंताएं जताई जा रही हैं।
- इन तबादलों के पीछे प्रदर्शन-आधारित दृष्टिकोण और किसी एक अधिकारी को अत्यधिक शक्ति मिलने से रोकने की रणनीति को संभावित कारण माना जा रहा है।
समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 13 अगस्त, 2025 – मध्य प्रदेश में जब से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभाली है, उनके प्रशासनिक फैसलों ने लगातार सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले 19 महीनों में मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में 19 भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों का तबादला हो चुका है, जिसने राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। इस असाधारण रूप से उच्च तबादलों की दर ने राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्ष को ‘टीम मोहन’ की स्थिरता और कार्यशैली पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। इन बदलावों के पीछे की वजहें क्या हैं, यह जानने के लिए कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
तबादलों का चक्र: क्या संदेश देना चाहते हैं सीएम?
मोहन यादव सरकार ने केवल मुख्यमंत्री कार्यालय में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में व्यापक तबादले किए हैं। पिछले दो साल से भी कम समय में 300 से अधिक आईएएस अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है। इसका असर लोक निर्माण, खनन, गृह विभाग और राजभवन जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर भी पड़ा है। जानकारों का मानना है कि इन लगातार हो रहे बदलावों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक दृष्टिकोण यह है कि मुख्यमंत्री यादव एक प्रदर्शन-आधारित कार्य संस्कृति स्थापित करना चाहते हैं, जहां अक्षम या धीमे काम करने वाले अधिकारियों को तुरंत बदला जा रहा है।
अधिकारियों का 360 डिग्री फीडबैक और नई रणनीति
प्रशासनिक बदलावों का एक और कारण मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा शुरू की गई ‘360 डिग्री फीडबैक’ प्रणाली हो सकती है। इस प्रणाली के तहत अधिकारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा रहा है, जिससे मुख्यमंत्री को अपनी टीम चुनने में मदद मिल रही है। हालांकि, कुछ विश्लेषक इसे एक रणनीतिक कदम भी मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह बदलाव किसी एक अधिकारी को मुख्यमंत्री कार्यालय में बहुत ज्यादा प्रभावशाली होने से रोकने के लिए किया जा रहा है, जैसा कि पिछली सरकारों में देखा गया था। यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि कोई भी अधिकारी इतना शक्तिशाली न हो जाए कि वह मुख्यमंत्री की नीतियों को प्रभावित कर सके।
अस्थिरता का खतरा और आगे की राह
जहां एक ओर इन तबादलों को प्रशासनिक सुधार का हिस्सा माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इससे कई समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। लगातार अधिकारियों के बदलने से नीतिगत कार्यान्वयन में अस्थिरता आ सकती है। कोई भी अधिकारी किसी विभाग को ठीक से समझ पाता, उससे पहले ही उसका तबादला हो जाता है, जिससे संस्थागत मेमोरी (institutional memory) प्रभावित होती है और महत्वपूर्ण परियोजनाओं की गति धीमी हो सकती है। आने वाले कुछ महीने मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इन्हीं महीनों में यह स्पष्ट होगा कि उनकी सरकार इन प्रशासनिक बदलावों से दीर्घकालिक दक्षता और स्थिरता ला पाती है या नहीं। राज्य के विकास के लिए एक स्थिर और सक्षम प्रशासनिक टीम का होना बेहद जरूरी है, जिसकी तलाश में सीएम यादव लगातार जुटे हुए हैं।